इलाज के लिए महि‍ला को रेफर करते रहे डॉक्टर, चली गई जान, विधायक अस्पताल में धरने पर बैठे

खून में प्लेटलेट्स की कमी के चलते एक महिला परिजनों के साथ पूरी रात डॉक्टर के दर पर भटकती रही आखिरकार इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 05:38 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 09:33 AM (IST)
इलाज के लिए महि‍ला को रेफर करते रहे डॉक्टर, चली गई जान, विधायक अस्पताल में धरने पर बैठे
इलाज के लिए महि‍ला को रेफर करते रहे डॉक्टर, चली गई जान, विधायक अस्पताल में धरने पर बैठे

रुद्रपुर, जेएनएन : खून में प्लेटलेट्स की कमी के चलते एक महिला परिजनों के साथ पूरी रात चिकित्सकों  के दर पर भटकती रही, आखिरकार इलाज के अभाव में उसने दम तोड़ दिया। संवेदनहीन चिकित्सा व्यवस्था उसे एक से दूसरे अस्पताल में भटकाती रही। चिकित्सा सुविधा की इस संवेदनहीनता पर भाजपा विधायक राजेश शुक्ला जिला अस्पताल में ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने चिकित्सा विभाग के लापरवाहों पर कार्रवाई के मांग के साथ मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा है।

जिला अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड के बाहर मुख्य गेट पर किच्छा विधायक राजेश शुक्ला सोमवार पूर्वाह्न 11 बजे धरने पर बैठ गए। विधायक ने बताया कि एक बीमार महिला के परिजन चिकित्सकों के आगे हाथ जोड़ते रहे, लेकिन महिला को इलाज देने के बजाय किच्छा से रुद्रपुर और हल्द्वानी तक भटकाया गया। जिसका खामियाजा बीमार महिला को जान देकर चुकाना पड़ा।

किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने बताया कि रविवार की देर रात ग्राम भंगा निवासी खेमकरन कश्यप ने फोन पर बताया कि उनकी 29 वर्षीय बहन पार्वती बीमार है। प्लेटलेट्स की संख्या 41 हजार हो गई है। बीमार के भाई ने गरीबी का हवाला देकर इलाज कराने की मदद मांगी। विधायक के कहने पर खेमकरन बहन के साथ किच्छा अस्पताल पहुंचा। जहां डॉ. एचसी त्रिपाठी ने जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक ने प्लेटलेट्स नहीं होने की बात कहकर सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी या मेडिसिटी अस्पताल जाने को कहा।

विधायक ने डॉ. गौरव अग्रवाल को फोन पर बीमार के लिए वाहन की व्यवस्था कराने को कहा, आधे घंटे बाद फिर से फोन करने पर डॉ. गौरव ने फोन नहीं उठाया। कोविड इलाज के लिए पैनल में शामिल मेडिसिटी में जब बीमार को ले जाया गया तो डॉ. अरोरा ने 10 हजार रुपये एडवांस जमा करने को कहा। पैसे देने में असमर्थता पर चिकित्सक ने बिना कोविड की जांच के इलाज करने से मना कर दिया। जिसके बाद परिजन उसे निजी वाहन से लेकर एसटीएच गए, जहां से फिर जिला अस्पताल भेज दिया गया। जिला अस्तपाल आने के बाद सोमवार की सुबह महिला की मौत हो गई। विधायक ने सिस्टम की संवेदनहीनता पर सवाल करते हुए धरना शुरू कर दिया।

एडीएम व सीएमओ ने की वार्ता

धरने पर बैठे विधायक राजेश शुक्ल व परिजनों को समझाने के लिए एडीएम जगदीश चंद्र कांडपाल, सीएमओ डॉ. डीएस पंचपाल व जिला अस्पताल के पीएमएस डॉ. टीडी रखोलिया मौके पर पहुंचे। इस दौरान विधायक ने सभी अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि के कहने के बाद भी एक महिला का इलाज नहीं किया गया तो आम आदमी की समस्याओं के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। विधायक शुक्ल ने यह कहते हुए धरना खत्म किया कि यदि एक सप्ताह में मामले में जांच कर कार्रवाई नहीं की गई तो वह सीएम कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे।

जिम्मेदारों के फोन स्विच आफ

धरने पर बैठे विधायक ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों के फोन स्विच आफ होना भी बहुत बड़ी समस्या है। उन्होंने आरोप लगाया कि रविवार की देर रात जब महिला इलाज के लिए भटक रही थी तो सीएमओ व पीएमएस के फोन स्विच आफ थे। जिसके चलते उन्हें डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती व स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से बात करनी पड़ी।

संविदा चिकित्सक पर सवाल

किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने धरने के दौरान कोरोना नोडल अधिकारी जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संविदा चिकित्सक को देने पर भी सवाल किया। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में राजकीय चिकित्सक होने के बाद भी संविदा पर तैनात गौरव अग्रवाल को क्यों जिम्मेदारी दी गई है। जो व्यक्ति जनप्रतिनिधि का भी फोन नहीं उठा रहा है।

सीएमओ ने मांगी जांच आख्या

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीएस पंचपाल ने बताया कि उन्होंने किच्छा रोड स्थित मेडिसिटी अस्पताल से जांच आख्या मांगी है। जिसमें पूछा है कि बीमार को फौरन इलाज क्यों नहीं दिया गया। मरीज से पैसे की मांग क्यों की गई। वहीं जिला अस्पताल से भी उन्होंने जांच आख्या मांगी है।

गार्ड ने पीड़ित को दौड़ाया

विधायक ने बताया कि बहन की मौत के बाद परेशान भाई अस्पताल में ही रोने लगा। रविवार सुबह जब वह शिकायत के लिए पीएमएस के पास जाने लगा तो सुरक्षा ड्यूटी में तैनात गार्ड ने उसे रोक दिया। नहीं मानने पर उसे मारने के लिए भी दौड़ा लिया। वहीं एडीएम, ऊधमसिंह नगर जगदीश चंद्र कांडपाल ने बताया कि बीमार को फौरन इलाज नहीं देना बहुत बड़ी लापरवाही है। मामले की जांच की जा रही है। इस संबंध में शीघ्र ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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