panchayat election खुद नहीं लड़ पाए चुनाव, लेकिन पत्नियों ने मार लिया मैदान
पंचायत चुनाव में हर आयु वर्ग के लोगों ने जीत दर्ज की है। नए चेहरों से लेकर कुछ पुराने दिग्गज भी सीट बचाने में कामयाब रहे।
हल्द्वानी, जेएनएन : पंचायत चुनाव में हर आयु वर्ग के लोगों ने जीत दर्ज की है। नए चेहरों से लेकर कुछ पुराने दिग्गज भी सीट बचाने में कामयाब रहे। हालांकि कुछ जगहों पर महिला आरक्षण होने की वजह से निवर्तमान ग्राम प्रधान चुनाव नहीं लड़ सके, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी और बहू को चुनावी रण में उतारने के साथ शानदार जीत भी दिलवाई। इन नवनिर्वाचित प्रधानों ने कहा कि पिछले कार्यकाल में पंचायत चुनाव में हुए विकास कार्यों की बदौलत उन्हें जीत मिली। विकास की परंपरा को वह आगे बढ़ाएंगे।
चित्रा बिष्ट
गौलापार की कुंवरपुर ग्रामसभा से चित्रा बिष्ट ने 240 वोटों से जीत दर्ज की। चित्रा के पति और निवर्तमान प्रधान हरेंद्र बिष्ट ने चुनाव जीतने के लिए दिन-रात मेहनत की थी। विपक्षी के समर्थन में विधायक तक ने सभा की, लेकिन परिणाम नहीं बदला।
विनीता नौला
देवला तल्ला (पजाया बागजाला) में प्रधान पद का चुनाव सबसे रोचक रहा। तीन बार काउंटिंग होने पर भी पहले विजेता रही विनीता नौला ही प्रधान बनी। निवर्तमान ग्राम प्रधान त्रिलोक नौला की पत्नी ने महज दो वोट से जीत दर्ज की। यहां आधा दर्जन उम्मीदवार थे।
लीला बिष्ट
गौलापार खेड़ा गांव से युवा प्रत्याशी लीला बिष्ट ने 450 मतों से प्रधान पद पर जीत दर्ज की। पत्नी को चुनाव जिताने के लिए निवर्तमान क्षेत्र पंचायत सदस्य अर्जुन बिष्ट ने खूब मेहनत की। अर्जुन ने खुद पिछले चुनाव में पंचायत के दिग्गज नेता को हराया था।
ममता बिष्ट
सैनिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली ममता बिष्ट किशनपुर रैक्वाल गांव से प्रधान बनी हैं। महिला सीट होने पर तारा सिंह बिष्ट (तारेश) ने अपनी बहू का नामांकन कराया था। शुरुआती मतगणना से बढ़त बनाने वाली ममता ने 385 मतों से चुनाव जीता।