वायर क्रेट ने संभाली गिरिजा मंदिर की सुरक्षा, सुरक्षा को पुख्ता न किया तो होगा बड़ा नुकसान

वायरक्रेट की मजबूती ही थी कि मंदिर के टीले को कुछ भी नुकसान नहीं हो पाया। मंदिर के पुजारी मोहन पांडे ने बताया कि इस बार बाढ़ कम थी। इसमें मंदिर पुल की काफी सीढ़ी बह गई। भैरव बाबा मंदिर में मलवा भर गया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 11:28 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 11:28 AM (IST)
वायर क्रेट ने संभाली गिरिजा मंदिर की सुरक्षा, सुरक्षा को पुख्ता न किया तो होगा बड़ा नुकसान
बाढ़ में वायरक्रेट केवल एक साइड से जमीन में धंस गई, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं होने दिया।

जागरण संवाददाता, रामनगर : गिरिजा देवी मंदिर में पिछले साल की तुलना में इस बार बाढ़ का लेवल तो कम रहा। लेकिन नुकसान इस बार च्यादा हुआ है। 24 घंटे की बाढ़ के दौरान वायर के्रट मंदिर के टीले की सुरक्षा को संभाले रही। मंदिर के टीले की सुरक्षा के लिए लगाए गए वायर क्रेट बाढ़ में कारगर साबित हुए। हालांकि इतनी तेज बाढ़ में वायरक्रेट केवल एक साइड से जमीन में धंस गई, लेकिन मंदिर के टीले को कोई नुकसान नहीं होने दिया। 

वर्ष 2010 की आई बाढ़ में कोसी नदी में बाढ़ का स्तर 1.60 लाख क्यूसेक था। इस बार बाढ़ का स्तर 1.46 लाख क्यूसेक ही था। लेकिन पहले से कम बाढ़ आने के बावजूद मंदिर परिसर में काफी नुकसान हुआ है। पिछले बार मंदिर परिसर में केवल धर्मशाला भवन ढहा था। इस बार बाढ़ से पुल से मंदिर जाने के लिए उतरने वाली सीढिय़ों को नुकसान पहुंचा है। सिंचाई विभाग द्वारा सुरक्षा के लिए बनाए गए सीमेंट के स्लीपर भले ही बह गए। लेकिन मंदिर के मिट्टी के टीले की सुरक्षा के लिए लगाई गई पत्थरों की वायरक्रेट को बाढ़ नुकसान नहीं पहुंचा पाई। केवल वायरक्रेट एक साइड पर जमीन में धंस गई है।

वायरक्रेट की मजबूती ही थी कि मंदिर के टीले को कुछ भी नुकसान नहीं हो पाया। मंदिर के पुजारी मोहन पांडे ने बताया कि इस बार बाढ़ कम थी। इसमें मंदिर, पुल की काफी सीढ़ी बह गई। भैरव बाबा मंदिर में मलवा भर गया। वाटर कूलर के अलावा टीनशेड तक बह गया। मंदिर गेट में काफी पत्थर का ढेर हो गया है। मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोलने में अभी कुछ समय लगेगा। मंदिर के टीले को कोई नुकसान बाढ़ से नहीं हुआ है। वायरक्रेट ने मंदिर को काफी बचाया है।

श्रमदान कर हटा रहे मलवा

मंदिर परिसर में जमा मलवा को हटाने के लिए आसपास के लोग व दुकानदार श्रमदान कर रहे हैं। वह रोजाना सुबह आकर मंदिर परिसर में साफ सफाई में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि वह खुशनसीब है कि वह माता की सेवा कर रहे हैं। 

दुकानदारों को भी हो रहा नुकसान

बाढ़ से प्रसाद विके्रताओं को भी नुकसान हुआ है। मंदिर बंद होने से सौ से अधिक दुकानदारों का रोजगार भी बंद है। इसके अलावा कई दुकानदारों की कोसी नदी में कच्ची दुकानें व उसमें मौजूद सामान तक बाढ़ की भेंट चढ़ गया।

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