पांच साल तक एक ही कार्ड से ले सकेंगे एमबीपीजी में किताबें, अलग से बनेगा लाइब्रेरी कार्ड
छात्र संख्या के लिहाज से कुमाऊं के सबसे बड़े डिग्री कालेज एमबीपीजी में इस साल स्नातक प्रथम वर्ष में दाखिला ले रहे विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण खबर है। अब उनका कालेज आईडी कार्ड और लाइब्रेरी कार्ड अलग-अलग होगा।
हल्द्वानी, जेएनएन : छात्र संख्या के लिहाज से कुमाऊं के सबसे बड़े डिग्री कालेज एमबीपीजी में इस साल स्नातक प्रथम वर्ष में दाखिला ले रहे विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण खबर है। अब उनका कालेज आईडी कार्ड और लाइब्रेरी कार्ड अलग-अलग होगा। लाइब्रेरी कार्ड की खासियत ये होगी कि यही कार्ड उनके अगले पांच साल (स्नातक से स्नातकोत्तर) तक काम आएगा। हर साल नया लाइब्रेरी कार्ड नहीं बनाना पड़ेगा।
पहले ऐसा बनता था कार्ड
इससे पूर्व एमबीपीजी कालेज में विद्यार्थियों का प्रवेश के दौरान एक ही कार्ड बनता था। इसी कार्ड से पुस्तकालय से किताबें भी मिलती थी। कार्ड में पुस्तकालय से किताबें लेने के बाद मुहर लग जाती थी जिसके चलते दोबारा किताबें तब ही मिलती थी जब पुरानी किताबें जमा की गई हो। अगली कक्षा में प्रवेश करने पर दूसरा कार्ड बनता था।
बिना कार्ड लाइब्रेरी में नहीं मिलेगी इंट्री
यदि विद्यार्थी को लाइब्रेरी से किताबों की जरूरत पड़ेगी तो उसके लिए साथ में नया लाइब्रेरी कार्ड ले जाना अनिवार्य होगा। इसके बिना लाइब्रेरी में इंट्री नहीं मिलेगी। इतना ही नहीं देय प्रमाण पत्र बनवाते समय भी लाइब्रेरी कार्ड अनिवार्य होगा।
खुद लेनी होंगी किताबें
इस लाइब्रेरी कार्ड के बिना लाइब्रेरी से न तो किताबें ली जा सकेंगी और न जमा की जा सकेंगी। जबकि विद्यार्थी जब खुद अपना कार्ड लेकर लाइब्रेरी जाएगा तब ही उसे किताबें मिलेंगी। छात्रनेता या किसी अन्य छात्र को किताबें लेने नहीं भेजा जा सकेगा।
डेढ़ लाख किताबें मौजूद
एमबीपीजी की लाइब्रेरी में वर्तमान में करीब डेढ़ लाख किताबें हैं। जिनमें हिंदी, अर्थशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, भूगोल, राजनीतिक विज्ञान, अंग्रेजी, संस्कृत, बीएड, वाणिज्य, रसायन, जंतु विज्ञान, भौतिक विज्ञान, कंप्यूटर साइंस, गणित जैसी महत्वपूण विषयों की किताबें शामिल हैं।