तीन महीने से चकमा दे रहा है वन्य जीव तस्करों का सरगना, यूपी से चल रहा है नेटवर्क
तीन माह से वन्य जीव अपराध नियंत्रण यूनिट वन्य जीव अंगों के मुख्य तस्कर को नहीं पकड़ पाई है। वह वन विभाग की नजर से अब तक ओझल है। कई बार दबिश देने के बाद भी आरोपित टीम के हत्थे नहीं चढ़ पाया है।
रामनगर, जागरण संवाददाता : तीन माह से वन्य जीव अपराध नियंत्रण यूनिट वन्य जीव अंगों के मुख्य तस्कर को नहीं पकड़ पाई है। वह वन विभाग की नजर से अब तक ओझल है। कई बार दबिश देने के बाद भी आरोपित टीम के हत्थे नहीं चढ़ पाया है। शासन ने कुमाऊं के लिए वन्य जीव अपराध नियंत्रण यूनिट बनाई है। यह टीम कुमाऊं में वन्य जीव अंगों के तस्कर को पकडऩे के लिए बनाई गई है।
20 जनवरी को कुमाऊं के वन्य जीव अपराध नियंत्रण यूनिट के प्रभारी व कार्बेट पार्क के वार्डन आरके तिवारी ने मालधन क्षेत्र के समीप घेराबंदी कर इनोवा कार में सवार दो लोगों को एक जोड़ी दो मुंहे सांप के साथ पकड़ा था। इसकी कीमत एक करोड़ तक होने की वजह से इसकी तस्करी लंबे समय से चल रही है। पकड़े गए आरोपितों ने अपना नाम उप्र के नजीबाबाद बिजनौर निवासी अमित कुमार पुत्र विजय कुमार व दूसरे ने मुरादाबाद भोजपुर निवासी सद्दाम पुत्र इस्लाम बताया।
पूछताछ में पता चला कि वह तो केवल मोहरे हैं, उनके असली सरगना भोजपुर निवासी रिजवान व मेहरबान है। वन्य जीव अंगों की तस्करी का पूरा नेटवर्क उप्र. के भोजपुर से संचालित होता है। टीम ने कई बार मुख्य सरगना को पकडऩे के प्रयास किए, लेकिन वह अब तक विभाग के हत्थे नहीं चढ़ पाए हैं।
दोनों सरगना के पकड़े जाने से सीटीआर के समक्ष तस्करी से जुड़े कई अन्य राज भी बेपर्दा होने की उम्मीद हैं। मुख्य लोगों के पकड़े जाने से उनके नेटवर्क भी ध्वस्त हो सकेगा। यूनिट के प्रभारी तिवारी ने बताया कि वन्य जीव अंगों का सरगना को पकडऩे के लिए कवायद चल रही है। उसे लगातार ट्रेस किया जा रहा है। उसके लिए मुखबिर तंत्र भी सक्रिय किया गया है।
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