पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति में देरी क्यों, हाई कोर्ट ने शासन से दो दिन में मांगा जवाब

प्राधिकरण में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने से भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संबंधित 39 मामले लंबित हैं। पीठासीन अधिकारी डेढ़ साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं। तभी से यह महत्वपूर्ण पद रिक्त है। याचिका में सरकार को पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की प्रार्थना की गई है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 11:37 AM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 11:37 AM (IST)
पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति में देरी क्यों, हाई कोर्ट ने शासन से दो दिन में मांगा जवाब
सरकार को दो दिन का समय देते हुए अगली सुनवाई के लिए नौ दिसंबर की तिथि नियत की है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल: हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि भूमि अर्जन एवं विकास प्राधिकरण में पीठासीन अधिकारी के पद पर अब तक नियुक्ति क्यों व किस वजह से नहीं हुई। सरकार को दो दिन का समय देते हुए अगली सुनवाई के लिए नौ दिसंबर की तिथि नियत की है। 

न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में टिहरी गढ़वाल के मलेथा निवासी अनिल किशोर जोशी की याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि प्राधिकरण में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने से भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संबंधित 39 मामले लंबित हैं। पीठासीन अधिकारी डेढ़ साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं। तभी से यह महत्वपूर्ण पद रिक्त है। याचिका में सरकार को पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए निर्देशित करने की प्रार्थना की गई है।

याचिकाकर्ता के अनुसार ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग निर्माणाधीन है। टिहरी गढ़वाल के मलेथा में रेलवे स्टेशन बन रहा है। इसके लिए याचिकाकर्ता की करीब दो सौ नाली भूमि का अधिग्रहण किया गया है। यह भूमि ग्रामीणों की थी और याचिकाकर्ता को औद्यानिकी के लिए दी गई है। टिहरी के जिला मजिस्ट्रेट ने भी याचिकाकर्ता को मुआवजा देने के आदेश पारित किए हैं। रेलवे स्टेशन के लिए अधिग्रहण की गई भूमि में याचिकाकार्ता के दस लाख शहतूत के पेड़ भी थे। अब तक रेलवे की ओर से मुआवजा नहीं दिया गया। यह मामला राज्य भूमि अर्जन विकास प्राधिकरण में लंबित है, लेकिन पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने से अब तक सुनवाई नहीं हो सकी है। इसलिए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। 

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