क्‍या है बाजपुर तहसील क्षेत्र के बहुचर्चित 20 गांव की 5838 एकड़ भूमि का मामला, जानिए सबकुछ

बाजपुर तहसील क्षेत्र के बहुचर्चित 20 गांव की 5838 एकड़ भूमि प्रकरण को लेकर गुरुवार को जिला कलक्ट्रेट न्यायालय ने फैसला सुनाकर हजारों परिवारों को बड़ी राहत दी है। इसके तहत मूल खातेदारों को छोड़ अन्य लोगों को पूर्व की भांति सभी अधिकार प्रदान कर दिए गए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 09:34 AM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 09:34 AM (IST)
क्‍या है बाजपुर तहसील क्षेत्र के बहुचर्चित 20 गांव की 5838 एकड़ भूमि का मामला, जानिए सबकुछ
क्‍या है बाजपुर तहसील क्षेत्र के बहुचर्चित 20 गांव की 5838 एकड़ भूमि का मामला, जानिए सबकुछ

रुद्रपुर/ बाजपुर, जेएनएन : बाजपुर तहसील क्षेत्र के बहुचर्चित 20 गांव की 5838 एकड़ भूमि प्रकरण को लेकर गुरुवार को जिला कलक्ट्रेट न्यायालय ने फैसला सुनाकर हजारों परिवारों को बड़ी राहत दी है। इसके तहत मूल खातेदारों को छोड़ अन्य लोगों को पूर्व की भांति सभी अधिकार प्रदान कर दिए गए हैं। जबकि मूल खातेदारों के मामले में एक अक्टूबर की तिथि सुनवाई के लिए तय की गई है।

अंग्रेजों के समय सूद परिवार को काफी जमीन 99 साल के लिए लीज पर दी गई थी। जमीन का अधिकांश हिस्‍सा बेच दिया गया था। जब लीज खत्म हो गई तो उसके बाद जिन लोगों ने जमीन खरीद रखी थी, उन्हें भूमिधरी का अधिकार दिया गया। फरवरी 2020 में तत्कालीन डीएम डा. नीरज खैरवाल ने जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी थी। यह मामला गरमा गया और सीएम के साथ कई दौर की वार्ता हुई।

इस मामले की सुनवाई गुरुवार को डीएम रंजना राजगुरु की अदालत में हुई। किसानों के अधिवक्ता अशोक कुमार शर्मा के मुताबिक सूद परिवार की ओर से लीज पर अथवा जो भूमि बेची गई थी, उसमें 12 गांव के लोग प्रभावित थे। उनमें से सूद फैमिली के खातों को छोड़ते हुए बाकी सभी लोगों को पूर्व की भांति अधिकार प्रदान कर दिए गए हैं। इसी प्रकार हरप्रसाद भटनागर की भूमि के प्रकरण में आठ गांव के लोग प्रभावित थे लेकिन हरप्रसाद भटनागर ने वर्ष 1943 में ही पूरी जमीन एसएन शर्मा एंड पार्टी को बेच दी थी।

ऐसे में न्यायालय ने एसएन शर्मा एंड पार्टी को पुन: नोटिस जारी करने, उनके द्वारा लीज पर अथवा बेची गई जमीन के मालिकों को पूर्ण अधिकार पूर्व की भांति दे दिए गए हैं। वर्तमान में सूद फैमिली व शर्मा एंड पार्टी के पास जो भूमि शेष है, उस पर रोक बरकरार रहेगी। आदेश में कहा गया है कि आठ गांव की भूमि के संदर्भ में हरप्रसाद भटनागर के नाम से नोटिस जारी हुए थे। जिनकी मृत्यु हो चुकी है, ऐसे में उनके द्वारा मूल खातेदार एसएन शर्मा एंड पार्टी को नोटिस जारी किया जाए और एक अक्टूबर से मामले में सुनवाई शुरू की जाएगी। गुरुवार को आए फैसले लोगों ने बड़ी राहत महसूस की है।

समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य के मार्गदर्शन में दो बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व उसके बाद भाकियू से जुड़े किसान प्रमुख सचिव एसएस संधू से मिले थे। अपने प्रथम दौरे में भी सीएम धामी ने भूमि प्रकरण पर सवाल पूछे जाने पर कहा था कि संधू को लाया गया है। सभी भूमि के मामले निपटाए जाएंगे। सीएम ने किसानों के सामने ही जिलाधिकारी को 30 अगस्त तक मामले का निस्तारण करने के निर्देश दिए थे। डीएम रंजना राजगुरु ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए करीब 4800 एकड़ जमीन के किसानों व काबिज आमजनों के पक्ष में फैसला देकर राहत प्रदान की।

डीएम के आदेश से सैकड़ों परिवारों को मिलेगी राहत

आजादी पूर्व से बाजपुर में सूद फैमिली की 4820 एकड़ भूमि की खरीद-फरोख्त पर तीन फरवरी 2020 को कलेक्ट्रेट न्यायालय की ओर से रोक लगाने के निर्देश जारी हेाने पर हड़कंप मच गया था। इस आदेश से 12 ग्राम पंचायतें व बाजपुर नगरपालिका क्षेत्र का 50 फीसद से भी अधिक हिस्सा प्रभावित था। जिला कलक्ट्रेट डा. नीरज खैरवाल ने फरवरी 2020 में एक आदेश जारी कर उच्चतम न्यायालय की ओर से पारित आदेशों के अनुरूप तय प्रविधानों के अंतर्गत संबंधित पक्ष को नोटिस जारी किए। ग्रामसभा दियोहरी, भोना इस्लामनगर, नमूना, नंदपुर नरकाटोपा, इकघरा, पहाड़पुर, रेंहटा, बिराहा, खमरिया, विक्रमपुर व नगर पालिका क्षेत्र का करीब 50 फीसद हिस्से की भूमि को अग्रिम आदेशों तक विक्रय, हस्तांतरण, खुर्द-बुर्द नहीं किए जाने के निर्देश दिए थे। इन आदेशों के क्रम में तहसील प्रशासन ने अमलदरामद कर दिया था। इसे अब डीएम के आदेश से हटाया जा सकता है।

क्या है पूरा मामला

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान लाला खुशीराम को 4820 एकड़ भूमि वर्ष 1920 में 93 वर्ष के लिए लीज पर दी गई। जिसमें लाला खुशीराम व उनके वारिसानों को आगे उप लीज दिए जाने का अधिकार उस समय की सरकार से प्राप्त था। ऐसे में खुशीराम के स्वजनों ने हजारों एकड़ भूमि विभिन्न ग्रामसभाओं में सब लीज पर दे दी। इसके तहत वर्ष 2013 तक का सभी को अधिकार भी दिया गया था। इधर, डीएम के आदेश से करीब 10 हजार परिवारों की रातों की नींद उड़ गई थी। जबकि तत्कालीन डीएम के आदेश पर सूद परिवार की ओर से कहा गया था कि आदेश में जिस वर्ष 1966 वाले एक्ट की बात कही जा रही है, उसे उच्च न्यायालय इलाहाबाद की ओर से 1967 में मृत घोषित कर दिया था। वर्ष 1970 में जेड-ए लागू होने के उपरांत सभी लोगों को जमींदारी उन्मूलन एक्ट के तहत 16 अक्टूबर 1970 को अधिकार प्राप्त हो गए थे। इतना ही नहीं, पूर्व में एसडीएम युक्ता ङ्क्षसह व अन्य की ओर से की गई जांचों में भी दिखाए गए दस्तावेज सही पाए गए हैं।

सूद परिवार को कैसे मिली जमीन

वर्ष 1895 में प्रिंस ऑफ वैल्स के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर इंडिया ने काउंसलर के जरिये तराई भाबर की वन क्षेत्र की भूमि को कृषि उपयोग के लिए लीज पर दिए जाने का सुझाव दिया, जो ब्रिटिश हुकूमत ने स्वीकार कर लिया। ऐसे में वर्ष 1905 में समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर भूमि लीज पर देने की बात कही गई। इसमें सूद परिवार के मुखिया खुशीराम ने इस्तेहार के माध्यम से उपरोक्त क्षेत्र की 4820 एकड़ भूमि लीज पर ली। इसमें अन्य लीज होल्डरों से अतिरिक्त एक विशेष शर्त यह जोड़ी गई कि संबंधित लीज होल्डर लाला खुशीराम को अगली पंक्ति के किसानों को सब लीज देने का अधिकार होगा। जबकि अन्य लीज होल्डरों के पास यह पावर नहीं थी। ऐसे में 95 प्रतिशत से भी अधिक भूमि उनके वारिसान ने सब लीज पर किसानों को दे दी। शहरी क्षेत्र में इस भूमि पर हजारों भवन भी बन चुके हैं। जानकारों की मानें तो ब्रिटिश हुकूमत ने गवर्नर्मेंट क्राउन ग्रांट एक्ट के तहत जनपद के 35 ग्रामों (20 गांव बाजपुर व 15 गांव खटीमा, किच्छा) में जमीनें लीज पर दी गई। देश की आजादी के बाद उपरोक्त एक्ट को यथावत रखते हुए 1950 में क्राउन शब्द को हटा दिया गया तथा शेष शर्तों को विधिवत रखते हुए लीज जारी रखी गई थी।

दैनिक जागरण में खबर प्रकाशन के बाद चर्चा में आया था मामला

दैनिक जागरण में कलेक्ट्रेट न्यायालय की ओर से जारी आदेश से संबंधित खबर पेज नंबर-तीन पर प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने बाद से ही यह मामला चर्चा में आया। खबर की यह कटिंग इंटरनेट मीडिया के माध्यम से हजारों परिवारों के बीच आती-जाती देखी गई। वहीं, इस खबर की चर्चा चौराहों, गलियों व आम सार्वजनिक स्थानों पर भी हुई। अधिक जानकारी के लिए लोग प्रशासनिक अधिकारियों को फोन भी करने लगे।

शहरी क्षेत्र को भी मिली राहत

सूद परिवार की ओर से तकरीबन 200 से अधिक एकड़ में आवासीय भूखंड सब लीज, बैनामे आदि पर दिए गए हैं। इसमें अलीशान बंगले व लोगों के रैन बसेरा बने हुए हैं। अब डीएम के आदेश पर इन लोगों की नींद उड़ी हुई थी। सूद कॉलोनी, सुंदर नगर सहित ऐसी अनेक बस्तियों के साथ ही अनेक उद्योग भी इन जमीनों पर लगे थे। अब सभी ने राहत की सांस ली है।

फैसले से चहके लोग

बाजपुर के 20 गांव के मामले की सुनवाई जिला कलक्ट्रेट न्यायालय में 16 सितंबर को तय की गई थी। इसे लेकर लोग उत्साहित भी थे और असमंजस की स्थिति कि आखिर फैसला क्या आएगा। बाजपुर के काफी लोगों के कलक्ट्रेट पहुंचने की उम्मीद थी। इसलिए शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कलक्ट्रेट में काफी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। गुरुवार अपराह्न एक बजे सुनवाई शुरू होने से पहले कोर्ट में पहुंचे लोगों के मोबाइल फोन बाहर रखवा दिए गए। एसडीएम का चार्ज व भूअध्यापित अधिकारी प्रत्यूष सिंह, कलेक्ट्रेट प्रभारी नरेश चंद्र दुर्गापाल सक्रिय रहे। सुनवाई में 48 सौ से अधिक एकड़ के किसानों के पक्ष में फैसला आया तो लोग खुशी से झूम उठे। लोगों ने सरकार का आभार जताया।

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