पोषक तत्वों से भरपूर है सिंघाड़ा, कोरोना से लड़ना तो जमकर खाएं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं

कोरोना काल में लोग हर तरह से इम्यूनिटी बढ़ाने में लगे हुए हैं। जिसके लिए लोग कई तरह के मल्टी विटामिन की गोलियां खा रहे हैं। ऐसे में पानी में पाया जाने वाला मौसमी फल सिंघाड़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सबसे ज्यादा कारगर है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 12:29 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 04:46 PM (IST)
पोषक तत्वों से भरपूर है सिंघाड़ा, कोरोना से लड़ना तो जमकर खाएं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं
पोषक तत्वों से भरा हुआ सिंघाड़ा किसानों की आय का सबसे अच्छा स्रोत हो सकता है।

रुद्रपुर, मनीस पांडेय : कोरोना काल में लोग हर तरह से इम्यूनिटी बढ़ाने में लगे हुए हैं। जिसके लिए लोग कई तरह के मल्टी विटामिन की गोलियां खा रहे हैं। ऐसे में पानी में पाया जाने वाला मौसमी फल सिंघाड़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सबसे ज्यादा कारगर है। जिले के जसपुर क्षेत्र में दर्जनों किसान सिंघाड़ा की खेती कर आय अर्जित कर रहे हैं।

पोषक तत्वों से भरा हुआ सिंघाड़ा किसानों की आय का सबसे अच्छा स्रोत हो सकता है। जिसके लिए जिले में सिर्फ जसपुर में ही खास तौर से खेती की जा रही है। करीब आधा दर्जन गांवों में कई किसान इस खेती से जुड़े हुए हैं। जिसमें वह प्रति तालाब करीब 50 हजार रुपये तक की आय प्राप्त कर रहे हैं।

जसपुर में पालगपुर, अमियावाला, मेघावाला, बड़ियावाला आदि गांवों में सिंघाड़े की खेती बड़े स्तर पर की जा रही है। डैम वाला क्षेत्र भोपूडाम में भी कई किसान सिंघाड़े की खेती से जुड़े हुए हैं। जिसमें करीब 100 एकड़ के तालाबों में सिंघाड़े की पैदावार हुई है। जसपुर के किसान राजू का कहना है कि सिंघाड़े के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है।

मुख्य कृषि अधिकारी, ऊधमसिंह नगर डॉ. अभय सक्सेना ने बताया कि सिंघाड़े की फसल किसानों के लिए मुफीद साबित हो रही है। ऐसे में सितारगंज के शक्तिफार्म क्षेत्र में भी इसे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। शक्तिफार्म में डैम के पास जहां पानी भर जाता है, वहां के लोग सिंघाड़े की खेती से बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं।

मत्स्य पालन व खेती एक साथ

सिंघाड़े की खेती व मत्स्य पालन एक साथ किया जा सकता है। जिससे मछलियों को भी फायदा होता है। सिंघाड़े की बेल से मछलियों को खाने की कोई कमी नहीं होती है। जसपुर के वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक शंकर लाल कोहली ने बताया कि यदि पूरे जिले में सिंघाड़ा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए तो यह तालाब वाले किसानों के लिए फायदे की खेती है।

100 रुपये प्रतिकिलो दाम

पानी में उगने वाला सिंघाड़ा पौष्टिकता का भंडार कहा जाता है। जिले के जसपुर में विभिन्न तालाबों में पैदावार के बाद हरा सिंघाड़ा बाजार तक पहुंच गया है। जहां इसे 80 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक खरीदा जा सकता है। गांधी पार्क के पास दुकान लगाने वाले महेंद्र ने बताया कि पौष्टिकता के कारण सिंघाड़े की बिक्री अच्छी हो रही है। समय से थोड़ा पहले तैयार होने के कारण इसके दाम भी बेहतर मिल रहे हैं। जिससे किसान व विक्रेता दोनों को मुनाफा हो रहा है। वहीं अक्टूबर माह तक सिंघाड़ा बड़े स्तर पर बाजार में पहुंच जाएगा। जहां इसे 30 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम के दर से खरीदा जा सकेगा।

दूध से ज्यादा खनिज तत्व

आयुर्वेद में कहा गया है कि सिंघाड़े में भैंस के दूध की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक खनिज लवण व क्षार तत्व पाए जाते हैं। जिला अस्पताल की डायटीशियन अंशुल टंडन ने बताया कि सिघाड़े में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, वी, मिनरल्स, फास्फोरस, मैग्नीशियम आदि तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। सिंघाड़ा सर्दी, खांसी, शुगर, गठिया आदि रोगों में भी काफी फायदेमंद माना जाता है।

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