वेबसाइट को लेकर निदेशालय व कॉलेजों में छिड़ी जंग, डाटा अपडेट फिर भी हार्डकॉपी की मांग
मैनजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम (एमआइएस) पर डाटा अपडेट करने को लेकर कॉलेजों का तर्क है कि सूचनाएं पूरी तरह अपडेट करने के बावजूद निदेशालय हार्ड कॉपी मांग रहा है। इसके चलते दोबारा पूरी मेहनत करनी पड़ रही है। वहीं निदेशालय इस तर्क को नकार रहा है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उच्च शिक्षा निदेशालय व कई डिग्री कॉलेजों में वेबसाइट में सूचनाओं को लेकर ठन गई है। मैनजमेंट इनफॉरमेशन सिस्टम (एमआइएस) पर डाटा अपडेट करने को लेकर कॉलेजों का तर्क है कि सूचनाएं पूरी तरह अपडेट करने के बावजूद निदेशालय हार्ड कॉपी मांग रहा है। इसके चलते दोबारा पूरी मेहनत करनी पड़ रही है। वहीं निदेशालय इस तर्क को नकार रहा है। इस तरह की स्थिति से एमआइएस को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। जबकि, उच्च शिक्षा में बेहतर व्यवस्था, सही समय पर नीति बनाने के लिए ही उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने फरवरी, 2021 को इसका उद्घाटन किया था।
कई जगह कर्मचारी तो कहीं संविदा शिक्षक को दी जिम्मेदारी
राज्य के 106 डिग्री कॉलेजों में एमआइएस के लिए नोडल प्रभारी बनाए जाने थे, पर कई जगह प्राचार्यों ने कर्मचारी को और कुछ जगहों पर संविदा शिक्षकों को जिम्मेदारी दे दी। जब काम बढऩे लगा तो कर्मचारियों ने इसे शिक्षकों का काम बताते हुए हाथ खड़े कर दिए। इसलिए भी पूरा विवरण अपडेट करने में दिक्कत आने लगी। बार-बार नोडल प्रभारी बदलने में भी दिक्कत आई।
ये सूचनाएं करनी है अपडेट
एमआइएस के तहत सर्विस डाटा, विषय, छात्र संख्या, सर्विस रूल आदि महत्वपूर्ण सूचनाओं को नियमित अपडेट किया जाना है।
अधिकारियों का ये है तर्क
उप निदेशक, उच्च शिक्षा डा. राजीव रतन ने बताया कि हमने केवल छात्रसंख्या वेरिफाई करने के लिए हार्ड कॉपी में सूचना मांगी थी। बाद में सभी कॉलेजों को अपडेट भी कर दिया था। दरअसल, कुछ प्राचार्य सक्रिय हैं, कुछ नहीं। दिक्कत वहां आती है, जहां कम जानकार हैं। वैसे अधिकांश कॉलेजों का काम ठीक है।
एमबीपीजी कॉलेज के नोडल प्रभारी डॉ. एसएन सिद्ध का कहना है कि वेबसाइट में टेक्निकल इश्यू हैं, जिन्हें अपडेट करने की जरूरत है। समय-समय पर डेटा पहले ही वेबसाइट में डाल दिया गया है। फिर भी हार्ड कॉपी में मांगा जाता है। इसमें अनावश्यक वक्त जाया होता है।