जानलेवा हो सकता है इंटरनेट मीडिया पर कोरोना को भगाने का वायरल नुस्खा

इंटरनेट मीडिया पर कोरोना को हराने के तरह-तरह के सुझाव वायरल हो रहे हैं। कोई कह रहा है कि नींबू की दो बूंद नाक में डालने से कोरोना चला जाएगा तो कोई कुछ। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि इंटरनेट मीडिया पर नीम हकीम के चक्कर में न पड़ें।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 04:33 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 04:33 PM (IST)
जानलेवा हो सकता है इंटरनेट मीडिया पर कोरोना को भगाने का वायरल नुस्खा
नुस्खों से इलाज करना झोलाछाप डाक्टर से इलाज कराने जैसा है।

जागरण संवाददाता, काशीपुर : कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। भारी संख्या में लोग इससे से लड़कर जीत रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इसकी चपेट में आकर जान भी गंवा रहे हैं। दूसरी ओर इंटरनेट मीडिया पर कोरोना को हराने के तरह-तरह के सुझाव वायरल हो रहे हैं। कोई कह रहा है कि नींबू की दो बूंद नाक में डालने से कोरोना चला जाएगा तो कोई कुछ। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि इंटरनेट मीडिया पर नीम हकीम के ज्ञान के चक्कर में न पड़ें अगर परेशानी है तो तुरंत ही कोरोना का इलाज कराना शुरू कर दें।

नगर में प्रतिदिन 5 से 9 लोगों की मौत कोरोना से हो रही है। कोरोना का खतरा बढ़ने के साथ-साथ बचाव के प्रयास भी तेज हुए हैं। दूसरी ओर इंटरनेट मीडिया कोरोना से बचाव और इलाज का अड्डा बनता जा रहा है। आए दिन इंटरनेट मीडिया साइट्स पर कोरोना से बचाव के लिए नीम हकीम की पोस्ट वायरल हो रही हैं। इस तरह के मैसेज आए दिन इंटरनेट मीडिया पर देखने को मिल रहे हैं। मैसेज में दावा किया जाता है कि इस नुस्खे से अब तक अनगिनत लोग ठीक भी हो चुके हैं। इंटरनेट मीडिया पर दवाइयों के पर्चे और दवाइयों के रैपर तक वायरल हो रहे हैं।

डॉक्टरों की राय है कि कोरोना की चपेट में आने के बाद नीम हकीम का ज्ञान सेहत पर भारी पड़ सकता है। यह बीमारी अत्याधिक घातक है। नुस्खों से इलाज करना झोलाछाप डाक्टर से इलाज कराने जैसा है। फिजिशियन व बाल रोग विशेषज्ञ डा. रवि सहोता बताते हैं कि शुरूआती बुखार को गंभीरता से लें। छठे दिन से 12वें दिन तक खतरे वाला पीरियड होता है। ऑक्सीजन लेवल जैसे ही 96 से नीचे आए तुरंत डाक्टर से परामर्श करें। लापरवाही भारी पड़ सकती है।

सीनियर फिजिशियन डा. रवि सिंघल ने बताया कि नीम-हकीम के नुस्खों पर ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए। कोरोना का अभी तक कोई पक्का इलाज नहीं है। ऐसे में लोगों के मन में विचार आते हैं कि शायद ऐसे ठीक हुआ जा सकता है। हमारे यहां हर आदमी नीम हकीम बन जाता है और अपनी राय देने लगता है। इस तरह के नुस्खों पर ज्यादा विश्वास घातक हो सकता है। अगर किसी को परेशानी हो रही है तो वह डाक्टर से परामर्श जरूर ले।

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी