पुल व सड़क न बनने से नाराज नकायल के ग्रामीण स्वतंत्रता दिवस पर करेंगे सामूहिक आत्मदाह

आजादी के सात दशक बाद भी उपेक्षित गौलापार के नकायल गांव के लोगों ने अब अपने हक की लड़ाई के लिए आत्मघाती कदम उठाने का एलान कर दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 08:00 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 08:00 PM (IST)
पुल व सड़क न बनने से नाराज नकायल के ग्रामीण स्वतंत्रता दिवस पर करेंगे सामूहिक आत्मदाह
पुल व सड़क न बनने से नाराज नकायल के ग्रामीण स्वतंत्रता दिवस पर करेंगे सामूहिक आत्मदाह

हल्द्वानी, जेएनएन : आजादी के सात दशक बाद भी उपेक्षित गौलापार के नकायल गांव के लोगों ने अब अपने हक की लड़ाई के लिए आत्मघाती कदम उठाने का एलान कर दिया है। सूखी नदी में पुलस व सड़क नहीं बनने से आक्रोशित नकायल गांव के लोगों ने आजादी के 73वें स्वतंत्रता दिवस के दिन सामूहिक आत्मदाह करने का एलान किया है। उन्होंने आत्मदाह की चेतावनी का पत्र जिलाधिकारी को भेजा है।

हल्द्वानी महानगर से मात्र नौ किलोमीटर दूर गौलापार के हिम्मतपुर नकायल गांव के लोगों को आने-जाने के लिए सूखी नदी पार करनी पड़ती है। राजस्व गांव होने के बावजूद आज तक सरकार से लेकर प्रशासन ने ग्रामीणों की समस्याओं को दूर करने के लिए पहल नहीं की। सूखी नदी में पुल व गांव में सड़क निर्माण नहीं हुआ है। अब भी गांव जाने-आने के लिए सूखी नदी के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। बरसात के दौरान नदी के उफान पर आने से गांव का शेष देश-दुनिया से संपर्क कट जाता है। कई बार गंभीर रूप से बीमार रोगी तक नदी के उफान पर रहने तक उपचार के लिए नहीं जा पाते हैं। गौलापार के समाजसेवी रवि शंकर जाेशी ने बताया कि कुछ साल पहले सरकार ने सूखी नदी में पुल बनाने की घोषणा की थी।

28 जून 2019 को लोनिवि के प्रांतीय खंड नैनीताल ने पुल बनाने की डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी देहरादून की एक कंपनी को दी। ये डीपीआर 27 सितंबर 2019 तक जमा होनी थी। अब तक कंपनी ने डीपीआर जमा नहीं की है। वहीं सरकार के छह माह के भीतर पुल निर्माण पूरा होने के दावे से आश्वांवित ग्रामीण अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। इस उपेक्षा से आक्रोशित ग्रामीणों ने 15 अगस्त को सामूहिक आत्मदाह करने की चेतावनी का पत्र डीएम को भेजा है। ज्ञापन में त्रिलोक चंद्र भट्ट, लक्ष्मण सिंह, दीवान सिंह, संदीप पांडे, सुरेंद्र सिंह वैशाली भट्ट, प्रेमा, रमेश चंद्र, तुला सिंह बिष्ट, कमल सिंह, शंकर दत्त भट्ट, बालम सिंह मेहता, मोहन सिंह चिलवाल, हेमंत मुखर्जी, विनोद भट्ट, भाष्करानंद भट्ट, प्रकाश चंद्र आदि के हस्ताक्षर हैं।

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