बारिश से तबाह हुए कुंचासो गांव के ग्रामीणों ने एसडीएम से लगाई मदद की गुहार
ग्राम पंचायत के कुंचासो तोक के ग्यारह परिवारों ने उपजिलाधिकारी को पत्र भेज कर अपनी सुध लिए जाने की मांग की है। मानसून काल में खतरे में आए तोक गांव के ग्रामीणों ने कहा है कि गांव में न तो पैदल मार्ग सुरक्षित हैं और नहीं सुरक्षित स्थल ।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग से लगभग छह -सात किमी दूरी पर स्थित तहसील धारचूला का बेहद संवेदनशील बुंगबुंग ग्राम पंचायत के कुंचासो तोक के ग्यारह परिवारों ने उपजिलाधिकारी को पत्र भेज कर अपनी सुध लिए जाने की मांग की है। मानसून काल में खतरे में आए तोक गांव के ग्रामीणों ने कहा है कि गांव में न तो पैदल मार्ग सुरक्षित हैं और नहीं सुरक्षित स्थल । आसमान लगातार बरस रहा है। भू वैज्ञानिक गांव को खतरे में बता चुके हैं। ग्यारह परिवारों का जीवन दांव पर लगा है। इन परिवारों को बचाने के लिए पुनर्वास करा दें।
कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में घटियाबगड़ गर्बाधार से लगभग छह सात किमी चढ़ाई पर तहसील मुख्यालय से लगभग पचास किमी की दूरी पर स्थित बुंगबुंग गांव है। यह क्षेत्र दो विशाल नालों के मुहाने पर स्थित है। प्रतिवर्ष इस क्षेत्र में मानसून काल में भूस्खलन होता है। गांव को जोडऩे वाले सम्पर्क मार्ग बंद हो जाते हैं। इसी ग्राम पंचायत का कुंचासो तोक सर्वाधिक संवेदनशील है। इस तोक में 11 परिवार निवास करते हैं। गांव की संवेदनशीलता को देखते हुए भूगर्भीय जांच की गई। भू वैज्ञानिक ने इसे अति संवेदनशील घोषित कर पुनर्वास की संस्तुति की।
दो वर्ष बीत चुके हैं तोक गांव का पुनर्वास तो दूर रहा गांव की सुरक्षा के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया गया।
गांव के उप प्रधान विरेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि मानसून काल में गांव के सभी 11 परिवार दिन में कृषि कार्य कर पड़ोस के तोक में जाकर शरण ले रहे हैं। गांव में चलने के लिए पैदल मार्ग नहीं रह चुके हैं और पेयजल लाइन ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि यदि प्रशासन अविलंब गांव की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाता है तो ग्यारह परिवार तहसील मुख्यालय धारचूला आकर तहसील प्रांगण में धरने पर बैठेंगे।