उच्च हिमालयी गांव के ग्रामीणों ने शुरू किया रेस्क्यू अभियान, जिला प्रशासन के खिलाफ आक्रोश

प्रशासन ने यह हवाला दिया कि हेलीकाप्टर से रेस्क्यू होगा। यदि पर्यटकों को समय पर मदद मिल गई होती तो वह बच सकते थे। दो दिन तक बर्फीले तूफान में फंसने के बाद वह भूखे प्यासे रह गए। जिसके कारण उनकी मौत भी हो सकती है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 01:51 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 01:51 PM (IST)
उच्च हिमालयी गांव के ग्रामीणों ने शुरू किया रेस्क्यू अभियान, जिला प्रशासन के खिलाफ आक्रोश
धूप निकलने के बाद बर्फ पिघल जाएगी और हिमालयी जानवर, चील, गिद्ध आदि उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : सुंदरढूंगा घाटी में जैकुनी गांव के गाइड खिलाफ सिंह दानू के लापता होने की सूचना से ग्रामीण खासे परेशान हैं। उनकी खोजबीन के लिए 25 सदस्यों की टीम हिमालय की तरफ शनिवार को रवाना हो गई है। पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ने टीम को रवाना किया। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के रेस्क्यू अभियान को लेकर सवाल उठाए हैं और वह आक्रोशित भी हैं।

कपकोट तहसील के जैकुनी गांव से पूर्व विधायक फर्स्वाण ने बताया कि सुंदरढूंगा ग्लेशियर में पांच बंगाली पर्यटकों के साथ ही जैकुनी गांव के गाइड खिलाफ सिंह दानू भी लापता हैं। जिला प्रशासन के रेस्क्यू अभियान के तीन दिन बाद भी उनकी खोजबीन नहीं हो सकी है। बाछम, जैकुनी गांव के चंदन सिंह के नेतृत्व में टीम रवाना हो गई है। दो दिन पूर्व भी ग्रामीणों ने क्षेत्रीय पटवारी के साथ 11 किमी की यात्रा तय कर सुंदरढूंगा की तरफ जाने की कोशिश की। प्रशासन ने सेटेलाइट के जरिए उन्हें वापस कर दिया। जबकि वहां से सुंदरढूंगा की दूरी लगभग 20 किमी रह गई थी। प्रशासन ने यह हवाला दिया कि हेलीकाप्टर से रेस्क्यू होगा। यदि पर्यटकों को समय पर मदद मिल गई होती तो वह बच सकते थे। दो दिन तक बर्फीले तूफान में फंसने के बाद वह भूखे, प्यासे रह गए। जिसके कारण उनकी मौत भी हो सकती है। अभी तक वह बर्फ के नीचे दबे हो सकते हैं। धूप निकलने के बाद बर्फ पिघल जाएगी और हिमालयी जानवर, चील, गिद्ध आदि उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। 

लापता गाइड खिलाफ सिंह के पास एक वाकी टॉकी भी था। जिसकी लोकल रेंज पांच किमी की है। जिसके माध्यम से 20 अक्टूर की शाम उन्होंने स्थानीय लोगों को सूचना दी थी। 21 अक्टूबर को उनके भाई आनंद सिंह, ग्राम प्रधान चंदन सिंह समेत अन्य स्थानीय लोग खाती से नौ किमी दूर जांतोली तक पहुंच गए। पूर्व विधायक फर्स्वाण ने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में सुबह छह से 10 बजे तक उड़ान भरी जा सकती है। उसके बाद बादलों के कारण हेलीकाप्टर को लैड करना संभव नहीं होता है।

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