नेटवर्क न होने के कारण जंगल में आग लगने की जानकारी दमकल विभाग को नहीं दे पा रहे ग्रामीण
उत्तराखंड के जंगलों की आग बुझाने में बहुत कुछ आड़े आ रहा है। चम्पावत जिले के ग्रामीण इलाकों में मोबाइल नेटवर्क न होने से स्थानीय लोग वनों में आग लगने की जानकारी संबंधित विभागों को नहीं दे पा रहे हैं।
चम्पावत, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड के जंगलों की आग बुझाने में बहुत कुछ आड़े आ रहा है। चम्पावत जिले के ग्रामीण इलाकों में मोबाइल नेटवर्क न होने से स्थानीय लोग वनों में आग लगने की जानकारी संबंधित विभागों को नहीं दे पा रहे हैं। इससे समय पर आग पर काबू पाना संभव नहीं हो रहा है। पाटी विकास खंड के भिंगराड़ा क्षेत्र के जंगलों में लगी आग की जानकारी देने के लिए लोग यहां वहां भटकते रहे लेकिन सिगनल न होने से इसकी जानकारी दमकल विभाग को नहीं दे पाए।
पाटी विकास खंड के साल, टांण, मछियाड़, कुल्यालगांव, सकदेना तथा देवीधुरा क्षेत्र में लंबे समय से दूर संचार विभाग का नेटवर्क गायब है। यहां निजी दूर संचार कंपनियों के टॉवरों से भी काफी कमजोर सिगनल मिल रहे हैं। इन दिनों जंगलों में बड़े पैमाने पर वनाग्नि की घटनाएं हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मोबाइल नेटवर्क न होने से वनों में आग लगने की जानकारी वन विभाग अथवा दमकल विभाग को नहीं दे पा रहे हैं। यही हाल बाराकोट विकास खंड के बर्दाखान व पंचेश्वर क्षेत्र से लगे गांवों का भी है।
ग्रामीण मोहन सिंह, दीवान सिंह, हर सिंह, रमेश पांडेय, गोविंद राम, कैलाश राम आदि ने बताया कि रात के समय अचानक वनों में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। कई दफा आवासीय बस्ती तक आग पहुंच रही है। ऐसे में दमकल विभाग को सूचना देना जरूरी बन जाता है, पर क्षेत्र में नेटवर्क न होने से सूचना देना मुश्किल हो रहा है। बाराकोट के ज्येष्ठ उप प्रमुख नंदाबल्लभ बगौली ने दूर संचार विभाग अल्मोड़ा के मुख्य अभियंता को पत्र भेजकर इस समस्या का समाधान करने की मांग की है। बगौली का कहना है कि बरदाखान नदेड़ा क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क न होने का मामला अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, ग्राम पंचायत की खुली बैठकों में उठाया जा चुका है। लेकिन किसी भी स्तर पर इस समस्या का समाधान करने के प्रयास नहीं हो रहे हैं।
सीडीओ चंपावत टीएस मर्तोलिया ने बताया कि कई ग्रामीण इलाकों में मोबाइल नेटवर्क न होने की शिकायत लंबे समय से मिल रही है। इसके लिए दूर संचार विभाग के स्थानीय अभियंता को टॉवरों में आई खराबी दूर करने के निर्देश दिए गए हैं। संचार सेवा न होने से आपदा के समय एक दूसरे से समन्वय बनाना मुश्किल हो रहा है। विभाग को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
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