जरूरतमंदों के लिए एक फोन पर ब्लड का प्रबंध करता है वदे मातरम ग्रुप, सराहनीय है संस्था के युवाओं की पहल

सेवाभाव के लिए कोई उम्र नहीं होती। हौसला व जज्बा हो तो मंजिल मिल ही जाती है। कुछ ऐसा ही प्रयास किया शहर के एक युवा शैलेंद्र सिंह दानू ने।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 03:44 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 09:23 AM (IST)
जरूरतमंदों के लिए एक फोन पर ब्लड का प्रबंध करता है वदे मातरम ग्रुप, सराहनीय है संस्था के युवाओं की पहल
जरूरतमंदों के लिए एक फोन पर ब्लड का प्रबंध करता है वदे मातरम ग्रुप, सराहनीय है संस्था के युवाओं की पहल

हल्द्वानी, जेएनएन : सेवाभाव के लिए कोई उम्र नहीं होती। हौसला व जज्बा हो तो मंजिल मिल ही जाती है। कुछ ऐसा ही प्रयास किया शहर के एक युवा शैलेंद्र सिंह दानू ने। पढ़ाई के साथ ही लाेगों की रक्त की जरूरत को पूरा करने से उनका शुरू हुआ सफर लगातार आगे बढ़ता चला गया। कोरोना काल में दिनरात जरूरतमंदों के लिए की गयी कोशिश ने शैलेंद्र को युवा समाजसेवी के रूप में पहचान दिला दी।

लॉकडाउन खत्म होने के साथ मानसून सत्र शुरू हुआ ताे शैलेंद्र ने अपनी टीम के साथ डेंगू से रोकथाम के लिए फाॅगिंग और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव शुरू कर दिया। ये सेवाभाव उनको कई मंचाें में सम्मान तो दिला ही रहा है और लोगों को भी उनकी टीम के साथ जुड़कर आगे आने के लिए प्ररित कर रहा है।

हल्द्वानी को कुमाऊं मंडल का मेडिकल हब माना जाता है। कुमाऊं के साथ ही उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती जिलों से तक यहां मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। गंभीर मरीजों को दूरदराज व दुर्गम इलाकों से लाने पर उपचार के लिए रक्त की जरूरत पड़ने पर तीमारदार परेशान हो जाते हैं। कई बार अनजान शहर में मरीज की जान बचाने के लिए रक्त की व्यवस्था करना तीमारदारों के लिए आसमान से तारे तोड़कर लाना जैसा हो जाता है।

मरीज व तीमारदारों की इन परेशानियों ने हीरानगर में रहने वाले शैलेंद्र सिंह दानू को झकझोरा तो उन्होंने एमए की पढ़ाई के दौरान ही समाजसेवा में अपना कदम रख दिया। दिनरात वह अस्पतालों का भ्रमण कर रक्त के जरूरतमंद मरीजों को तलाशते और डोनर की व्यवस्था कराते। धीरे-धीरे शैलेंद्र के साथ युवा जुड़े तो वंदे मातरम ग्रुप के नाम से एक संगठन बन गया। संगठन से हल्द्वानी व आसपास के रक्तदाताओं को सूचीबद्ध करना शुरू कर दिया और जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध कराने लगे। सोशल मीडिया को संगठन ने अपना हथियार बनाया तो कई रक्तदाता खुद जुड़ गए।

कोरोना काल शुरू होते ही वंदे मातरम ग्रुप ने लगातार तीन तक कोई भूखा ना रहे अभियान के माध्यम से जरूरतमंदों को राशन, दवाइंया व जरूरत की चीजें उपलब्ध करायीं। यही नहीं गरीब महिलाओं को स्वस्थ रखने के लिए संस्था की ओर से सेनेटरी पैड भी उपलब्ध कराए गए।

लॉकडाउन खत्म होते ही संगठन ने डेंगू की रोकथाम के लिए मुहीम शुरू की दी। वंदे मातरम ग्रुप हर दिन हल्द्वानी के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर फागिंग अभियान चला रहा है। इसके साथ ही कीटनाशक दवाओं का छिड़काव संस्था को लोकप्रीय बनाता जा रहा है।

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