वैशाख दुर्गाष्टमी पर अपराजिता रूप में पूजी जाती हैं देवी, इस बार 20 मई को मनेगा पर्व
वैशाख शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 20 मई को होगी। इस दिन व्रत व देवी दुर्गा की खास पूजा करने का विधान है। देवी पुराण मुताबिक वैशाख शुक्लपक्ष की अष्टमी को अपराजिता रूप में देवी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। बीमारियों से राहत मिलती है।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : वैशाख शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 20 मई को होगी। इस दिन व्रत व देवी दुर्गा की खास पूजा करने का विधान है। देवी पुराण मुताबिक वैशाख शुक्लपक्ष की अष्टमी को अपराजिता रूप में देवी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। बीमारियों से राहत मिलती है। श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक अष्टमी तिथि बुधवार दोपहर करीब एक बजे शुरू होगी और गुरुवार दोपहर बाद तक रहेगी। उदय व्यापिनी यानी सूर्योदय के समय मौजूद रहने वाली तिथि में त्योहार मनाने की परंपरा के आधार पर गुरुवार को देवी व्रत व पूजा करना श्रेष्ठकर है।
इस तरह करें अपराजिता पूजन
प्रत्येक माह शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी व्रत करने का विधान है। ग्रंथों में वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन मां दुर्गा के अपराजिता रूप की प्रतिमा को कपूर और जटामासी युक्त जल से स्नान कराने और खुद आम के रस से नहाने का महत्व है। अगर ऐसा न कर पाएं तो पानी में आम के रस की बूंदे और थोड़ा गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए।
दस महाविद्या में एक हैं मां बगलामुखी
वैशाख शुक्ल पक्ष अष्टमी को देवी बगलामुखी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में एक हैं। इनकी उत्पत्ति को सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से माना जाता है। देवी बगलामुखी की नजरों से शत्रु बच नहीं सकता। ज्योतिषी डा. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक शत्रुओं से मुक्ति पाने, कार्यों में जीत प्राप्त करने आदि के लिए मां बगलामुखी की पूजा करनी चाहिए।
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