उत्‍तराखंड परिवहन निगम के FASTag खाते में बैलेंस कम, परिचालकों को करना पड़ रहा डबल भुगतान

परिवहन निगम के खाते में पैसे कम होने के कारण दिल्ली समेत अन्य सभी रूटों पर पडऩे वाले टोल बैरियर पर परिचालकों को डबल भुगतान करना पड़ा। कर्मचारियों के मुताबिक दिल्ली आने-जाने में फास्टैग के जरिये टोल से गुजरने पर 1200 रुपये लगते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 10:41 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 10:41 AM (IST)
उत्‍तराखंड परिवहन निगम के FASTag खाते में बैलेंस कम, परिचालकों को करना पड़ रहा डबल भुगतान
उत्‍तराखंड परिवहन निगम के फस्‍टटैग खाते में बैलेंस कम, परिचालकों को करना पड़ रहा डबल भुगतान

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : परिवहन निगम के खाते में पैसे कम होने के कारण दिल्ली समेत अन्य सभी रूटों पर पडऩे वाले टोल बैरियर (Toll Tax) पर परिचालकों को डबल भुगतान करना पड़ा। कर्मचारियों के मुताबिक दिल्ली आने-जाने में फास्टैग (FASTag) के जरिये टोल से गुजरने पर 1200 रुपये लगते हैं। पर्ची कटाने पर 2200 रुपये का खर्चा आता है। ऐसे में रोडवेज को हुए इस नुकसान की जिम्मेदारी कौन लेगा। वहीं, अफसरों का कहना है कि पेटीएम से पैसे ट्रांसफर होने में तकनीकी वजह से कुछ दिक्कत आई थी। ऐसे में बसों में लगे फास्टैग ने काम नहीं किया।

हाईवे पर बने टोल बैरियरों पर अब पर्ची कटवाने की बजाय फास्टैग सिस्टम काम करता है। इसके दो फायदो होते हैं। पहला बेवजह के जाम में नहीं फंसना पड़ता। दूसरा आनलाइन भुगतान करने में पैसे भी कम पड़ते हैं। जबकि नगद पर्ची कटवाने में दोगुना पैसे चुकाने पड़ते हैं। यही वजह है कि सरकारी बसों, कामर्शियल वाहनों से लेकर आम लोग भी फास्टैग सिस्टम लगाने के बाद पेटीएम के जरिये भुगतान करते हैं, मगर उत्तराखंड रोडवेज की बसों के लिए मंगलवार का दिन घाटे का रहा। अधिकांश टोल पर नगद और दोगुने पैसे देने पड़े।

वजह फास्टैग सिस्टम का काम न करना था। नाम न छपने की शर्त पर परिचालकों ने बताया कि बैरियर के कर्मचारियों से कुछ जगहों इसे लेकर विवाद भी हुआ। जिसके बाद कर्मचारियों ने साफ कहा कि खाते में पैसे नहीं होने के कारण गाड़ी नहीं निकल सकती। जिसके बाद पर्ची कटवानी पड़ी। परिचालकों के मुताबिक अफसरों और इस सिस्टम को देखने वाले कर्मचारियों की वजह से निगम को घाटा हुआ। एआरएम हल्द्वानी सुरेंद्र बिष्ट ने बताया कि फास्टैग सिस्टम मुख्यालय से चलता है। पता चला कि तकनीकी कारणों से टोल पर पैसे ट्रांसफर नहीं हो सके। जिस वजह से नगद और ज्यादा भुगतान करना पड़ा।

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