स्टोन क्रशर की नीति से बैकफुट पर उत्‍तराखंड सरकार, मानकों के उल्लंघन की वजह से हाईकोर्ट सख्त

राज्य में स्टोन क्रशर की नीति से सरकार बैकफुट पर है। नियमों व मानकों के उल्लंघन की वजह से हाईकोर्ट सख्त है। अब बेतालघाट के स्टोन क्रशर का मामला हाईकोर्ट में आ चुका है। इंटरनेट मीडिया में भी यह मामला जोरशोर से उठ रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 12:02 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 12:02 PM (IST)
स्टोन क्रशर की नीति से बैकफुट पर उत्‍तराखंड सरकार, मानकों के उल्लंघन की वजह से हाईकोर्ट सख्त
स्टोन क्रशर की नीति से बैकफुट पर उत्‍तराखंड सरकार, मानकों के उल्लंघन की वजह से हाईकोर्ट सख्त

नैनीताल, जागरण संवाददाता : राज्य में स्टोन क्रशर की नीति से सरकार बैकफुट पर है। नियमों व मानकों के उल्लंघन की वजह से हाईकोर्ट सख्त है। अब बेतालघाट के स्टोन क्रशर का मामला हाईकोर्ट में आ चुका है। इंटरनेट मीडिया में भी यह मामला जोरशोर से उठ रहा है। राज्य में नदियों से अवैध खनन हमेशा ही बड़ा मुद्दा रहा है। खनन नीति के साथ ही नदियों में अवैध खनन, अनधिकृत रूप से स्टोन क्रशर का संचालन करने का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। सरकार से इन मामले में जवाब देते नहीं बन रहा है। पहले सरकार ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को बहस के लिए निवेदन किया। इस वजह से दो बार सुनवाई टली, अब जब मेहता नहीं आ पाए तो हाईकोर्ट बार एसोशिएशन के अध्यक्ष अवतार सिंह रावत को मामले में सरकार का पक्ष रखने को नियुक्त किया है।

दे दी मशीनों से चुगान की अनुमति

राज्य में नदियों से चुगान के बहाने खनन किया जाता रहा है। कोविड काल में मजदूर संक्रमित ना हो, इसकी आड़ लेकर मशीनों से चुगान की अनुमति दी गई। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली के अनुसार 2016 में भारत सरकार ने एक नियमावली बनाई। जिसके बाद चुगान को लेकर गाइडलाइंस जारी की। उत्तराखंड का नाम उन राज्यों की सूची में था, जहां बिना मशीनों से चुगान की अनुमति थी। 2018 में केंद्र सरकार ने फ्रेमवर्क जारी किया। जिसमें कहा गया कि उत्तराखंड में नदियों की दस साल की क्षमता का अध्ययन किया जाएगा। इसके लिए वन मंत्रालय द्वारा कमेटी का भी गठन किया। कमेटी की रिपोर्ट पर ही दाबका में खनन पर रोक लगी थी।

2020 में नई गाइडलाइन जारी

2020 में केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की। एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट के आदेश, संतुलित खनन का अध्ययन के बाद माइनिंग मॉनीटिरिंग गाइडलाइन जारी हुई। इस गाइडलाइन के अनुसार खनन क्षेत्रों का पहले सर्वे अप्रैल में मानसून से पहले, दूसरा मानसून की विदाई, तीसरा मानसून के बाद मैटीरियल देखने के लिए तथा चौथा फिर अप्रैल में कितना मैटीरियल निकाला गया। इस गाइडलाइन के अनुसार अवैध खनन रोकने के लिए सेटेलाइट का उपयोग, वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने का उल्लेख है। मगर अब तक इस मामले में सरकार जवाब दाखिल नहीं कर सकी है। अब बेतालघाट में स्टोन क्रशर के खिलाफ एक और जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने सरकार जवाब मांग लिया है। जाहिर है खनन नीति के मामले में सरकार अदालत के साथ ही अदालत के बाहर भी घिर गई है।

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