Uttarakhand Forest Research : शर सैय्या पर लेटे भीष्‍म पितामह युधिष्ठर को दे रहे हैं पर्यावरण संरक्षण का संदेश

पर्यावरण संरक्षण व आम लोगों के बीच जुड़ाव पैदा करने के लिए उत्तराखंड वन अनुसंधान लगातार नए प्रयास कर रहा है। औषधीय गुण दुलर्भता के धार्मिक महत्व के जरिये हरियाली को बचाने का संदेश लगातार दिया गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 12:41 PM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 10:05 PM (IST)
Uttarakhand Forest Research : शर सैय्या पर लेटे भीष्‍म पितामह युधिष्ठर को दे रहे हैं पर्यावरण संरक्षण का संदेश
शर शैय्या पर लेटे भीष्म पितामाह ने युधिष्ठर को बताया था पर्यावरण संरक्षण का महत्व, वन अनुसंधान ने किया प्रदर्शित

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : पर्यावरण संरक्षण व आम लोगों के बीच जुड़ाव पैदा करने के लिए उत्तराखंड वन अनुसंधान लगातार नए प्रयास कर रहा है। औषधीय गुण, दुलर्भता के धार्मिक महत्व के जरिये हरियाली को बचाने का संदेश लगातार दिया गया है। वहीं, अब वन अनुसंधान के रामपुर रोड स्थित मुख्यालय के परिसर में महाभारत के जरिये लोगों को पर्यावरण संरक्षण की जानकारी दी जा रही है। बताया गया है कि कैसे मृत्युशैय्या पर लेटे भीष्म पितामाह ने पांडव कुल युधिष्ठिर को वृक्षारोपण के विषय में उपदेश दिए थे। नर्सरी में तीरों के बीच लेटे भीष्म पितामाह की प्रतिमा के साथ बोर्ड पर दोनों के मध्य हुए संवाद को आकर्षक तरीके से परिभाषित किया गया है।

वन अनुसंधान इससे पूर्व रामायण वाटिका, भरत वाटिका, कृष्ण वाटिका, सर्वधर्म वाटिका जैसी धार्मिक वाटिकाओं के जरिये पेड़-पौधों का महत्व बता चुका है। आदि गुरु शंकराचार्य व स्वामी विवेकानंद के तप वृक्ष को भी इस कड़ी में संरक्षित किया गया है। इसके अलावा डायनासोर पार्क से पता चलता है कि उस युग में भी पेड़-पौधों का कितना महत्व था। अब इस नई तरह की वाटिका से फिर संदेश देने की कोशिश की गई है।

भीष्म ने यह कहा था

अतीतानागते चोभे पितृवंश च भारत। तारयेद् वृक्षरोपी च तस्मात वृक्षांश्च रोपयेतृ। इसका मतलब है कि हे युधिष्ठिर! वृक्षों का रोपण करने वाला मनुष्य अतीत में जन्मे पूर्वजों व भविष्य में जन्म लेने वाली संतानों एवं पितृवंश का तारण करता है। इसलिए उसे चाहिए कि पेड़-पौधे लगाये। एक अन्य श्लोक में कहा गया है कि तस्य पुत्रा भवन्त्येते पादपा नात्र संशय:। परलोगत: स्वर्ग लोकांश्चाप्नोति सोव्यनान् यानी मनुष्य द्वारा लगाए गए वृक्ष वास्तव में उसके पुत्र होते हैं इस बात में कोई संशय नहीं है। जब उस व्यक्ति का देहावसान होता है तो उसके स्वर्ग एवं अन्य अक्षय लोक प्राप्त होते हैं।

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