World Environment Day 2021 : उत्तराखंड वन विभाग ने जारी किया रिपोर्ट कार्ड, संरक्षित की गईं 439 नई प्रजातियां
World Environment Day 2021 वन अनुंसधान द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में 415 पेड़ प्रजाति 130 झाड़ी प्रजाति 87 आर्किड 96 फर्न 89 घास 45 जलीय प्रजाति 30 काई 87 लाइकन आठ कीट भक्षी प्रजातियों का जिक्र है। तुलसी की सबसे ज्यादा 15 प्रजातियां उत्तराखंड में पाई गई है।
गोविंद बिष्ट , हल्द्वानी। World Environment Day 2021 : उत्तराखंड वन विभाग देश का पहला ऐसा राज्य है जहां पर्यावरण दिवस पर पिछले दो साल से संरक्षित प्रजातियों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया है। मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक यह पिछले साल के मुकाबले इस बार 439 नई प्रजातियों को पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्र में संरक्षित किया गया है। जिसमें 73 वह प्रजाति भी शामिल है जिन्हें संकटग्रस्त श्रेणी में माना जाता है। 15 को उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड ने भी इस कैटेगिरी में रखा है।
उत्तराखंड वन अनुंसधान द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में 415 पेड़ प्रजाति, 130 झाड़ी प्रजाति, 87 आर्किड, 96 फर्न, 89 घास, 45 जलीय प्रजाति, 30 काई, 87 लाइकन, आठ कीट भक्षी प्रजातियों का विस्तार से जिक्र है। तुलसी की सबसे ज्यादा 15 प्रजातियां उत्तराखंड में पाई गई है। वहीं, 1576 में से पांच सौ प्रजातियां ऐसी है जिनका औषधीय महत्व है। अनुसंधान के मुताबिक थुनेर का इस्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर की दवा बनाने में किया जाता है। लेकिन जानकारी के अभाव में दोहन किया जा रहा है।
कैक्टस व सकुलेंट की 213 प्रजाति भी संरक्षित श्रेणी में लाई गई है। अनुसंधान के मुताबिक पिछले साल की रिपोर्ट में 1147 वनस्पतियों का जिक्र था। अब एक साल के भीतर लगातार रिसर्च व फील्ड वर्क के जरिये 439 नई प्रजातियों को शामिल किया गया। यानी अब प्रदेश में 1576 वनस्पति प्रजाति संरक्षित श्रेणी में शामिल हो चुकी है। रिपोर्ट में नाम, वैज्ञानिक नाम के अलावा स्थिति व फायदे भी शामिल किए गए हैं।
इन संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण
अगर, जटामासी, कूट, तायमान, सफेद मुलसी, पोनी टेल पॉम, बोटल पॉम, अतीस, नागछत्री, हिमालयल वेनस, बीजासाल, चंदन, काला शीशम, मोरपंखी, रक्त चंदन, मेक्सिन फन पॉम, डोलू, कंचला, पटवा, स्नो आर्चिड, लेमन ग्रास, अंकोला, लेडी स्लीपर आर्चिड समेत 73 प्रजाति इसमें शामिल है।
सिर्फ हिमालयी क्षेत्र में मिलती है
वन अनुसंधान के मुताबिक भारत के सिर्फ हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली 53 वनस्पति प्रजातियां अलग-अलग नर्सरी में तैयार की गई है। इसमें देवदार, अखरोट, मोरू, कुमाऊं फन पॉम, सेमला, सुरई, केदारापति, सतपुरा, सकीना, वन प्लास, पंगर, बटरफ्लाई आर्चिड, ट्री फन आदि शामिल है।
मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि पिछले बार की तरह इस बार भी संरक्षित प्रजातियों की पूरी रिपोर्ट बनाई गई है। 264 पन्नों की रिपोर्ट में हर प्रजाति का विवरण है। पर्यावरण को बचाने में जन सहभागिता बेहद जरूरी है।
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