कार्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेंज में भालुओं के उपचार के लिए बनेगा प्रदेश का पहला बाड़ा
भालुओं के संरक्षण के लिए कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) आगे आया है। ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में प्रदेश का पहला भालू बाड़ा बनाया जाएगा। जहां घायल भालुओं का उपचार हो सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी 2018 में कार्बेट पार्क आए थे।
रामनगर, त्रिलोक रावत : भालुओं के संरक्षण के लिए कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) आगे आया है। ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में प्रदेश का पहला भालू बाड़ा बनाया जाएगा। जहां घायल भालुओं का उपचार हो सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फरवरी 2018 में कार्बेट पार्क आए थे। उन्होंने ढेला रेंज में बाघ, गुलदार व हाथियों के उपचार के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाने की घोषणा की थी।
अब रेस्क्यू सेंटर बनकर तैयार हो चुका है। ऐसे में सीटीआर ने अपनी कार्ययोजना में भालू बाड़ा भी शामिल किया है। सीटीआर के अलावा पश्चिमी वृत्त के डिवीजन व लैंसडोन क्षेत्र में भालू घायल मिलने पर उन्हें रेस्क्यू कर ढेला लाया जाएगा। यहां बंद बाड़े में चिकित्सक उनका उपचार करेंगे। स्वस्थ होने पर फिर से दूरस्थ वन क्षेत्रों में छोड़ दिया जाएगा।
सीटीआर वार्डन आरके तिवारी ने बताया कि सीटीआर में भालू बाड़ा बनाना रेस्क्यू सेंटर की कार्ययोजना में शामिल है। बजट उपलब्ध होने पर भालू बाड़ा तैयार कर लिया जाएगा। वहीं आइयूसीएन स्लॉथ बियर एक्सपर्ट टीम के पूर्व को-चेयरमैन डा. हरेंद्र बर्गली कहते हैं कि भालुओं को अभी शोध की प्राथमिकता में नहीं रखा गया है। यह भी जंगल के लिए उतने ही महत्वपूर्ण है, जितने अन्य वन्यजीव है। यदि भालुओं के प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया गया तो इनके संकटग्रस्त होने की भी संभावना है।
सीटीआर में मौजूद दो ही प्रजाति
देश में चार प्रजाति के भालू मौजूद हैं। जिसमें हिमालयन काला भालू, स्लॉथ भालू, हिमालयन भूरा भालू व मलयन सन भालू शामिल है। कार्बेट लैंडस्केप में हिमालयन काला भालू व स्लॉथ भालू की ही प्रजाति मिलती है।
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