बच्चों के लिए किताबें और दूध तक नहीं खरीद पा रहे हटाए गए उपनल कर्मचारी
उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने सरकार से नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि कई विभागों में जरूरत होने पर भी उपनल कर्मचारियों को हटा दिया गया। हटाए गए कर्मचारी इस कोरोनाकाल में न ही अपने बच्चों की फीस जमा कर रहे पा रहे हैं!
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने सरकार से नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि कई विभागों में जरूरत होने पर भी उपनल कर्मचारियों को हटा दिया गया। हटाए गए कर्मचारी इस कोरोनाकाल में न ही अपने बच्चों की फीस जमा कर रहे पा रहे हैं और न ही किताबें खरीद सकने में समर्थ हैं। यहां तक उनके पास दूध व किराए तक का पैसा नहीं है। कई विभागों में चार माह से वेतन तक नहीं दिया गया है।
मंगलवार को वर्चुअल बैठक में संघ के प्रदेश संरक्षक गणेश गोस्वामी ने कहा कि उपनल कर्मचारी लगभग पांच से 10 वर्ष से भी अधिक समय से सेल टैक्स, आटीआइ आदि विभागों में कार्यरत थे। विभाग में आवश्यकता होने के बावजूद भी इन्हें हटा दिया गया। जबकि संभागीय कार्यालयों की ओर से राज्यकर विभाग के उच्चाधिकारियों को स्पष्ट पत्र में लिखा है कि इन कर्मचारियों की विभाग को आवश्यकता है। इनको हटा देने से विभागीय कार्य बाधित हो रहे है।
इस संबंध में उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ की ओर से मुख्यमंत्री समेत सभी कैबिनेट मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचिव व विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन भी प्रेषित किया जा चुका है। इसके बाबवजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष पूरन भट्ट ने कहा कि हटाए गए कर्मचारी आज अपने परिवार के लिये दो समय का भोजन जुटा पाने में असमर्थ है। अपने बच्चों के फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं।
प्रदेश महामंत्री प्रमोद गुसाईं ने कहा कि वर्तमान में कई विभागों ने उपनल कर्मचारियों को तीन से चार माह का वेतन नहीं दिया है। प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में कर्मचारियों को अपने और अपने परिवार के भरण पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि उपनल कर्मचारियों को वेतन नही दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। बैठक में अंकित नेगी, तेजा सिंह, मनोज जोशी, रत्नमणि कुसुम,रेखा योगेश भाटिया, विनोद बिष्ट,आदि उपस्थित रहे।
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