बागेश्वर में बेकाबू जंगल की आग, सीमी-नगरगोल के वन पंचायत और मलाड़ीधर का शहीद स्मारक शांति वन जला
जिले में लगभग 66 प्रतिशत भू-भाग में आरक्षित और वन पंचायतें हैं। पिछले एक सप्ताह से लगातार यह जंगल धूं-धूंकर जल रहे हैं। सीमी-नरगोल वन पंचायत में भयंकर आग लग गई है। ग्रामीण माधो राम हीरा महेंद्र आदि ने काबू पाने की कोशिश की फिर भी जंगल खाक हो गए।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : जंगलों की आग लगातार बेकाबू होते जा रही है। चारों तरफ धुंआ फैल गया है। सीमी-नगरगोल के वन पंचायत में भंयकर आग लगी है। मलाड़ीधार स्थित शहीद स्मारक शांति वन भी जलकर स्वाहा हो गया है। पर्यावरण में धुंआ फैलने से लोग सांस लेने में भी दिक्कत महसूस करने लगे हैं।
जिले में लगभग 66 प्रतिशत भू-भाग में आरक्षित और वन पंचायतें हैं। पिछले एक सप्ताह से लगातार यह जंगल धूं-धूंकर जल रहे हैं। सीमी-नरगोल वन पंचायत में भयंकर आग लग गई है। ग्रामीण माधो राम, हीरा, महेंद्र आदि ने आग पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन फिर भी जंगल खाक हो गए। उधर, दुग नाकुरी तहसील के सुरकाली गांव में वन पंचायत में भीषण आग लगी है। गांव के नव निर्वाचित सरपंच तुलसी सुरकाली ने बताया कि वन पंचायत के लगाए गए पौध पूरी तरह नष्ट हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि वन पंचायतों को आग बुझाने के लिए कोई उपकरण तक नहीं मिल सके हैं। पूर्व प्रधान एंव भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता योगेश हरड़िया, वनपंचायत रक्षक सुन्दर सिंह हरड़िया, गोपाल साह, मदन हरड़िया, पूर्व सैनिक प्रेम सिंह सुरकाली, मनोहर सिंह सुरकाली, दिवान हरड़िया, ग्राम प्रधान गोविंदी देवी, शंकर लाल साह, हरीश साह, बचुली देवी आदि ग्रामीणों ने आग बुझाने में सहयोग किया।
इधर, 2006-7 में स्थापित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीद स्मारक शांति वन मलाड़ीधार मंडलसेरा में शरारती तत्वों ने आग लगा दी है। आग में लगभग दो हजार पौध जलकर खाक हो गए हैं। वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा, देश दीपक मलड़ा, टीना मलड़ा, कुनाल बनकोटी, मोनू चौबे, मनीषा मलड़ा आदि ने चार घंटे की मशक्कत के बाद आग को फैलने से बचाया। जिससे आग कुंती नाला, दोगाड़ आदि स्थानों पर लगभग 15 हजार से अधिक आबादी की तरफ फैलने से बच गई। लीसा डिपो भी बालबाल बच गया है। डीएफओ बीएस शाही ने कहा कि आग पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग की टीम लगातार गश्त कर रही है।
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