गांव के युवाओं को फौजी बनाने में जुटे दो फौजी, गौलापार निवासी बालम और मुन्ना छुट्टियों में देते हैं ट्रेनिंग

गौलापार के दो जवान छुट्टी में आकर आसपास के युवाओं में सेना का हिस्सा बनने का जज्बा पैदा कर रहे हैं। सुबह छह बजे से जंगल किनारे 50 युवाओं की ट्रेनिंग शुरू हो जाती है। ताकि भर्ती में ट्राई करने के दौरान यह अनुभव काम आ सके।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 09:05 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 09:05 AM (IST)
गांव के युवाओं को फौजी बनाने में जुटे दो फौजी, गौलापार निवासी बालम और मुन्ना छुट्टियों में देते हैं ट्रेनिंग
सुबह छह से आठ बजे तक प्रशिक्षण दिया जाता है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : ड्यूटी के दौरान दिन-रात देश की सुरक्षा के लिए सरहदों पर मुस्तैदी से डटे रहने वाले गौलापार के दो जवान छुट्टी में आकर आसपास के युवाओं में सेना का हिस्सा बनने का जज्बा पैदा कर रहे हैं। सुबह छह बजे से जंगल किनारे 50 युवाओं की ट्रेनिंग शुरू हो जाती है। ताकि भर्ती में ट्राई करने के दौरान यह अनुभव काम आ सके।

गौलापार के मानपुर निवासी बालम सिंह बिष्ट नौ साल पहले कुमाऊं रेजीमेंट में बतौर जवान भर्ती हुए थे। करीब डेढ़ माह पहले वह साउथ अफ्रीका से लौटे। एक साल तक स्पेशल ड्यूटी के तहत वहां पोस्टिंग थी। वहीं, गौलापार के कालीपुर निवासी मुन्ना आर्य आठ साल पहले सेना में भर्ती हुए थे।

वर्तमान में वह इंजीनियरिंग बांबे में तैनात हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश बिष्ट ने बताया कि ड्यूटी से घर आने पर हर बार दोनों गौलापार के युवाओं को ट्रेनिंग देना शुरू कर देते हैं। जवान बालम सिंह बिष्ट ने बताया कि जंगल किनारे ऐसा ट्रेक बनाया गया है जो कि भर्ती फील्ड की तरह लगता है। करीब पचास बच्चे यहां पहुंचते हैं। सुबह छह से आठ बजे तक प्रशिक्षण दिया जाता है। स्टैचिंग, एक्सरसाइज के अलावा दौड़ भी करवाई जाती है।

दौड़ विजेताओं को ट्राफी भी दी

मंगलवार को प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं की दौड़ प्रतियोगिता भी करवाई गई थी। जिसमें 50 लोगों ने प्रतिभाग किया। जिसके बाद विजेता दस लोगों को ट्राफी देकर सम्मानित भी किया गया।

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