सुंदरढूंगा में मौसम खराब रेस्क्यू को गए सेना के दो हेलीकाप्टर वापस लौटे
जिलाधिकारी विनीत कुमार ने बताया कि सुंदरढूंगा से लौटे स्थानीय पोटर्र और गाइडों के अनुसार वहां दस पर्यटक गए थे। जिसमें से लगभग पांच के हताहत होने की सूचना है। इसके अलावा अन्य की खोजबीन जारी है। सुंदरढूंगा घाटी की हेलीकाप्टरों ने केवल रैकी की है। यह अभियान जारी रहेगा।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : सुंदरढूंगा घाटी में हताहत हुए पांच बंगाली पर्यटकों की खोज में आए सेना के दो हेलीकाप्टर रैकी के बाद वापस हो गए। बताया जा रहा है कि मौसम खराब होने के कारण रेस्क्यू अभियान बीच में छोड़ना पड़ा है। शनिवार को यदि मौसम ने साथ दिया तो पुन: हेलीकाप्टर सुंदरढूंगा की तरफ उड़ान भरेंगे और खोजबचाव शुरू करेंगे। शुक्रवार को लगभग 12 बजे सेना के दो हेलीकाप्टर कपकोट पहुंचे। वहां से सुंदरढूंगा की तरफ उड़ान भरी। रैकी की और खराब मौसम के कारण वापस लौट आए।
जिलाधिकारी विनीत कुमार ने बताया कि सुंदरढूंगा से लौटे स्थानीय पोटर्र और गाइडों के अनुसार वहां दस पर्यटक गए थे। जिसमें से लगभग पांच के हताहत होने की सूचना है। इसके अलावा अन्य की खोजबीन जारी है। सुंदरढूंगा घाटी की हेलीकाप्टरों ने केवल रैकी की है। यह अभियान लगातार जारी रहेगा। मौसम ने साथ दिया तो शीघ्र अभियान शुरू किया जाएगा। इसके अलावा एसडीआरएफ, राजस्व, वन विभाग की टीमें खोजबचाव में जुटी हुई हैं।
बंगाली पर्यटक बिना अनुमति गए थे पिंडार, डीएम ने दिए कार्रवाई के आदेश
बागेश्वर: पिंडारी ग्लेशियर से लौट रहे देसी और विदेशी पर्यटक द्वाली के समीप फंस गए थे। जिन्हें खरकिया से टैक्सियों के जरिए कपकोट लाया गया। वन विभाग की अनुमति के बिना ग्लेशियर की तरफ गए पर्यटकों पर कार्रवाई भी तय है। इतना ही नहीं अब ग्लेशियर जाने वालों के पंजीकरण आदि को लेकर बेहतर सिस्टम भी तैयार किया जाएगा।
जिलाधिकारी विनीत कुमार के अनुसार द्वाली से 42 पर्यटक और स्थानीय लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू पूरा हो गया है। लगभग 15 बंगाली पर्यटकों को पांच टैक्सियों के जरिए कपकोट लाया गया। जहां उनके नाम, पता आदि की जानकारी जुटाई गई। पर्यटकों का मेडिकल परीक्षण आदि के बाद उन्हें जिला मुख्यालय की तरफ रवाना कर दिया गया है। कफनी ग्लेशियर की तरफ झूनी और खल्झूनी गांव के भेड़-बकरी पालक गए थे। जिनकी संख्या अब बढ़कर 25 पहुंच गई है। वह सभी सुरक्षित हैं। उन्हें पखुवा टॉप पर लाया जा रहा है। वह यहां अपने मवेशियों के साथ लगभग अभी तीन माह तक रहेंगे।
जिलाधिकारी विनीत कुमार ने कहा कि वन विभाग से सूचना प्राप्त हुई कि किसी भी ट्रैकर का पंजीकरण नहीं किया गया है। जबकि वन विभाग ने ग्लेशियर जाने वालों के लिए पंजीकरण की व्यवस्था की है। बावजूद बंगाली पर्यटक बिना अनुमति के वहां गए और फंस गए। ऐसे पर्यटकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। डीएम ने बताया कि ग्लेशियर आने-जाने वालों पर अब प्रशासन नजर रखेगा। सिस्टम को बेहतर बनाया जाएगा।