शहीदों और राज्य आंदोलनकारियों की स्मृति में विकसित होगा त्रिफला वन
नागरिकों का संगठन कल्पतरु वृक्षमित्र का इरादा अब रामनगर में शहीदों की स्मृति एक त्रिफला वन स्थापित करने का है। ताकि देश के लिए शहीद हुए जांबाज सैनिक पुलिस कर्मी वन कर्मी और राज्य आंदोलनकारियों को लोग याद रख सकें।
रामनगर, जेएनएन : तीन उपवन स्थापित करने के बाद पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पिछले पाँच वर्षों से कार्यरत स्थानीय नागरिकों का संगठन कल्पतरु वृक्षमित्र का इरादा अब रामनगर में शहीदों की स्मृति एक त्रिफला वन स्थापित करने का है। ताकि देश के लिए शहीद हुए जांबाज सैनिक, पुलिस कर्मी, वन कर्मी और राज्य आंदोलनकारियों को लोग याद रख सकें। संगठन द्वारा वर्ष 2017 में गार्जिया झूलापुल में कुंवर दामोदर जैवविविधता उपवन, वर्ष 2018 में बेलगढ़ में रामनगर फाइकस गार्डन और 2019 में टेढ़ा में कोसी बायोडाइवर्सिटी पार्क की स्थापना की जा चुकी है। इन तीनों उपवनों साठ से भी ज्यादा प्रजातियों के हज़ारों पौधे लगाए जा चुके हैं, जिनकी नियमित देखभाल कल्पतरु सदस्य करते रहते हैं।
प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध इस संगठन में हर आयु,व्यवसाय, धर्म, समुदाय व वर्ग के सदस्य हैंं जो संगठन को मजबूती प्रदान करने के साथ साथ एक विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं। यही कारण है कि संगठन ने समय के साथ निस्वार्थ भाव से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने वाले संगठन के रूप में शहर के नागरिको के बीच जगह बनाई है और इसके कार्यों में नगर के पर्यावरणप्रेमी व जागरूक नागरिक बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।
कल्पतरु मित्र संगठन के सचिव मितेश्वर आनंद बताते है कि इस नेक कार्य के लिए टीम कल्पतरु को स्थानीय स्तर पर प्रोत्साहन व सहयोग प्राप्त हो रहा है। रामनगर में शिवलालपुर स्थित अधिकारी नर्सरी द्वारा कल्पतरु को इस उद्देश्य के निमित्त लगभग एक हजार बहेड़ा के पौधें निशुल्क उपलब्ध कराए गए हैं। कहते हैं कि सच्ची मंशा से लोककल्याण के भावों से किये जाने वाले कार्य को सिद्ध करने में संसार की शक्तियाँ स्वयं कार्यरत होती हैं।
क्या है मकसद
निकट भविष्य में रामनगर में शहीद स्मृति त्रिफला वन की स्थापना का उद्देश्य शहीदों के सम्मान के साथ पर्यावरण संरक्षण के भावों को जोड़ना है। रामनगर में स्थापित फाइकस गार्डन और कोसी जैवविविधता उद्यान के साथ मिलकर शहीद स्मृति त्रिफला वन की स्थापना एक अद्वितीय उदाहरण पेश करेगा। इस वन में न केवल हरड़ बहेड़ा और आँवला (संयुक्त रूप से त्रिफला) के पौधें बड़ी संख्या (लगभग पांच हज़ार) में रोपित किये जायेंगे बल्कि इन पौधों को अलग अलग ब्लॉक्स में बाँटकर उन्हें उत्तराखंड व देश के लिए शहीद हुए प्रदेश के अमर शहीदों के नाम के साथ एक विशेष पहचान दी जाएगी जो पर्यावरण संरक्षण के इस अनूठे प्रयास के साथ साथ हमारे अमर शहीदों के लिए हरित श्रद्धाजंलि होगी।
शहीदों को याद रखेगी भावी पीढ़ी
इस उपवन के स्थापित होने से भावी पीढ़ी शहीदों के बलिदान को याद रखेगी ही साथ ही पर्यावरण और आर्थिकी के मध्य संतुलन (आंवला हरड़ बहेड़ा के अनेक औषधीय उपयोग होने के कारण इनकी जबरदस्त आर्थिक उपयोगिता भी इस क्षेत्र में पर्यावरण व आर्थिकी के स्वस्थ संतुलन को बरकरार रखने में यह नया त्रिफला उपवन अपनी अहम भूमिका अदा करेगा।