जलीय जैव विविधता केंद्र में फिर पहुंचने लगे पर्यटक, एक सप्ताह में 300 सैलानी आए

चम्पावत जिले के मैदानी क्षेत्र टनकपुर में बने जलीय जैव विविधता केंद्र में एक बार फिर रौनक लौट आई है। कोविड-19 के कारण केंद्र को सात माह तक बंद करना पड़ा था। एक सप्ताह पूर्व केंद्र को लोगों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 04:16 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 04:16 PM (IST)
जलीय जैव विविधता केंद्र में फिर पहुंचने लगे पर्यटक, एक सप्ताह में 300 सैलानी आए
जलीय जैव विविधता केंद्र में फिर पहुंचने लगे पर्यट, एक सप्ताह में 300 पर्यटक आए

चम्पावत, जेएनएन : चम्पावत जिले के मैदानी क्षेत्र टनकपुर में बने जलीय जैव विविधता केंद्र में एक बार फिर रौनक लौट आई है। कोविड-19 के कारण केंद्र को सात माह तक बंद करना पड़ा था। एक सप्ताह पूर्व केंद्र को लोगों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। यहां आने वाले पर्यटक साइबेरियन पक्षियों के साथ यहां पाले जा रहे बत्तख, मछलियां, केकड़ा और कछुवा के साथ अन्य जलीय जीवों की विभिन्न प्रजातियों के दीदार कर रहे हैं। एक सप्ताह में ही 300 पर्यटक यहां आ चुके हैं।

यह उत्तराखंड का पहला जैव विविधता केंद्र है जो दो और पर्यटन आयामों से जुड़ा हुआ है। नंधौर अभ्यारण्य में पर्यटक प्रकृति की सुंदरता व जंगली जानवरों को देखने जाते हैं तो मां पूर्णागिरि धाम में आध्यात्मिक शक्ति से साक्षात्कार करने पहुंचते हैं। जलीय जैव विविधता केंद्र शारदा बैराज के पास चार हेक्टेयर जमीन पर बना है। इन दिनों यहां हरियाली के बीच साइबेरियन पक्षियों का प्रवास शुरू हो गया है। विभिन्न प्रजाति के कछुवों के साथ मछलियां तालाबों में अटखेलियां कर रही हैं। बत्तख, केकड़े और उदबिलाव, वाटर स्नैक भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। शारदीय नवरात्र में मां पूर्णागिरि धाम में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए केंद्र को भी पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।

पूर्णागिरि के दर्शन के लिए आने वाले अधिकांश श्रद्धालु केंद्र में जाकर यहां की जैव विविधता के भी दर्शन कर रहे हैं। शारदा वन रेंज के रेंजर महेश चंद्र जोशी ने बताया कि एक सप्ताह में यहां 300 पर्यटक आ चुके हैं, जिनमें पूर्णागिरि आने वाले 250 से अधिक श्रद्धालु और रूद्रपुर, हल्द्वानी, काशीपुर, रामपुर के 49 पर्यटक शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यहां आने वाले पर्यटकों से कोविड के नियमों का पूरी तरह पालन करवाया जा रहा है। मुख्य गेट पर पर्यटकों को सेनिटाइज करने की व्यवस्था की गई है। केंद्र में पर्यटकों की सुविधा के लिए कैंटीन निर्माण का काम शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा पर्यटकों के बैठने के लिए हट भी बनाए जा रहे हैं।

चार तालाब दे रहे जलीय जीवों को संरक्षण

जलीय जैव विविधता केंद्र में चार बड़े तालाब बनाए गए हैं। इन तालाबों में विभिन्न प्रजातियों के जलीय जीवों का संरक्षण किया जा रहा है। साइबेरियन पक्षी भी इन तालाबों के किनारे बैठकर अठखेलियां कर रहे हैं। वन विभाग दो और तालाबों का निर्माण कर रहा है। अगले वर्ष तक यह तालाब पूरी तरह अस्तित्व में आ जाएंगे।

बच्चों के लिए 20 और वयस्कों के लिए 50 रुपया प्रवेश शुल्क

जलीय जैव विविधता केंद्र में प्रवेश के लिए बच्चों को 20 रुपये और वयस्कों को 50 रुपये देने पड़ते हैं। इस धनराशि का उपयोग केंद्र के विकास में ही किया जाता है। प्रवेश शुल्क कम होने से बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी जलीय जीवों को देखने के लिए पहुंच रहे हैं।

पक्षियों का कलरव भी लुभा रहा पर्यटकों को

केंद्र में विलुप्त हो रहे जलीय जीवों की प्रजातियों का संरक्षण तो किया ही जा रहा है। मैना, बुलबुल, कठफोड़वा, आवाविल, टिटहारी आदि पक्षी भी यहां डेरा जमाकर कलरव करते हैं, जिससे पर्यटक काफी आकर्षित होते हैं। पर्यटकों को प्रेरित करने के लिए वन विभाग नगर में जगह-जगह होर्डिंग्स लगाकर प्रचार प्रसार कर रहा है।

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