ग्लेशियर व घाटियों को जाने वाले गांवों में विकसित करेंगे पर्यटन, पहले चरण में दस गांव चयनित
उत्तराखंड की पहचान एवं आमदनी का बड़ा जरिया पर्यटन ही है। इसके देखते हुए शहरों की बजाय अब सरकार का रुख उन गांवों की ओर है जहां पर्यटन को स्वरोजगार से जोड़कर क्षेत्रवासियों को आर्थिक रूप से सशक्त करना है ताकि पलायन को रोका जा सके।
बागेश्वर, जेएनएन : उत्तराखंड की पहचान एवं आमदनी का बड़ा जरिया पर्यटन ही है। इसके देखते हुए शहरों की बजाय अब सरकार का रुख उन गांवों की ओर है जहां पर्यटन को स्वरोजगार से जोड़कर क्षेत्रवासियों को आर्थिक रुप से सशक्त करना है ताकि पलायन को रोका जा सके। सरकार अब उत्तराखंड ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना के तहत गांवों में पर्यटन विकास की संभावनाओं में तेजी लाने का मन बना रही है। इसके लिए उन गांवों का चयन किया जा रहा है जहां पर्यटन की संभावनाएं अधिक हैं। इसके लिए लोहारखेत, मुनारी, सूपी, खाती, झूनी, खलझूनी आदि गांवों का चयन किया गया है। यह गांव पिंडारी, कफनी ग्लेशियर सहित सुंदरढूंगा घाटी को जाने वाले मार्ग में आते है।
ग्लेशियरों में पहुंचने में दो से तीन दिन का समय लगता है। इस दौरान ट्रैकर इन्हीं गांवों में जो भी व्यवस्था हो रहते है। कुछ जगहों पर सरकारी गेस्ट हाउस भी मिल जाएंगे। इन गांवों को चिंहित कर बेरोजगार व्यक्तियों को पर्यटन गतिविधियों से जोड़ा जाना है। जिसमें उन्होंने हार्डवेयर प्रोजेक्ट (पर्यटन अवस्थापना सुविधा) तथा साफ्टवेयर प्रोजेक्ट (प्रशिक्षण व्यवस्था) के तहत कार्य किया जाना है। बागेश्वर के डीएम विनीत कुमार ने बताया कि पर्यटन में रोजगार की काफी संभावनाएं है। इसके लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है। जल्द ही परिणाम सामने दिखाई देंगे।
कलस्टर आधारित होंगी गतिविधियां
उत्तराखण्ड ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना के तहत कलस्टर आधारित पर्यटन गतिविधियां कराई जानी है। इसमें उद्यानों का विकास, तारबाड़ एवं कंपाउंड वाल, लैंड स्केपिंग, ग्राम पंचायतों की सीमा में सड़कों का सुधार एवं ट्रैकिंग मार्ग, ग्राम में प्रकाश व्यवस्था, सौर ऊर्जा, सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट तथा सीवरेज मैनेजमेंट हेतु सुधार कार्य, साहसिक खेल तथा जल क्रीडाओं का आयोजन होगा। पर्यटको के आवास हेतु निजी क्षेत्र में होम स्टे का विकास भी किया जाएगा
ट्रैकिंग रूट में है परेशानियां
पिंडारी ट्रैकिंग रुट में पर्यटकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मार्ग जगह-जगह पर क्षतिग्रस्त है। रहने व खाने आदि की पर्याप्त व्यवस्था नही है। वहीं गांवों के खाली होने से भी दिक्कतें कम होने के बजाय बढ़ गई है। अब प्रवासियों के लौटने से गांवों के विकास की उम्मीद जगी है। अगर सरकार इस ओर कदम उठाए तो पर्यटन से अच्छी आमदनी कर सकते हैं। विकास होने से पर्यटकों की आमद भी बढ़ेगी।