रानीबाग-नैनीताल रोपवे मामले में पर्यटन विकास परिषद से मांगा जवाब

रानीबाग से नैनीताल के लिए प्रस्तावित रोपवे के निर्माण के विरोध में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने बलियानाले का ट्रीटमेंट कर रही कंपनी को पक्षकार बनाने को कहा है और चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 08:07 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 08:07 PM (IST)
रानीबाग-नैनीताल रोपवे मामले में पर्यटन विकास परिषद से मांगा जवाब
टूरिज्‍म डेवलेपमेंट बोर्ड और राज्य सरकार ने रानीबाग से नैनीताल के लिए रोपवे का निर्माण प्रस्तावित है

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाईकोर्ट ने रानीबाग से नैनीताल के लिए प्रस्तावित रोपवे के निर्माण के विरोध में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने बलियानाले का ट्रीटमेंट कर रही कंपनी को पक्षकार बनाने को कहा है और टूरिज्‍म डेवलपमेंट बोर्ड से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

बुधवार को  मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कहा गया है टूरिज्‍म डेवलेपमेंट बोर्ड और राज्य सरकार ने रानीबाग से नैनीताल के लिए रोपवे का निर्माण प्रस्तावित किया है। रोपवे के लिए निहालनाले और बलियानाले के मध्य मनोरा पीक पर निर्माण कार्य होना है, मगर ये दोनों नाले भूगर्भीय रिपोर्ट के आधार पर अतिसंवेदनशील क्षेत्र हैं। लिहाजा यहां पर किसी भी प्रकार का निर्माण नही किया जा सकता।

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ई लर्निंग सामग्री खरीद में घपले पर सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल : उच्च न्यायालय ने बुधवार को चौबट्टाखाल पौड़ी गढ़वाल के 49 विद्यालयों में विधायक निधि से खरीदी गई ई लर्निंग सामग्री में हुए घपले के खिलाफ  दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है।

बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में पब्लिक स्कूल जोगीमड़ी के पूर्व प्रबंधक पूरन सिंह नेगी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि 2020-21 में चौबट्टाखाल पौड़ी गढ़वाल के 49 विद्यालयों के लिए विधायक निधि से ई लर्निंग के लिए सामग्री खरीदी गई। यह सामग्री मुख्य शिक्षा अधिकारी के माध्यम से खरीदी गई। खरीदी गई सामग्री में एलईडी टीवी भी थे, मगर वे खराब थे। जब इसकी शिकायत डीएम से की गई तो उन्होंनेतीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच के आदेश दिए। जांच में यह पाया गया कि जिस कंपनी से एलईडी टीवी खरीदे गए थे, वह 20 वर्ष पहले ही बंद हो चुकी है। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मुख्य शिक्षा अधिकारी को दोषी पाया था। याचिकाकर्ता ने रिपोर्ट में दोषी अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

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