मूसलधार बारिश ने रोकी पर्यटकों की राह

सरोवर नगरी में शनिवार की सुबह हुई मूसलधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Aug 2019 10:44 AM (IST) Updated:Tue, 20 Aug 2019 06:31 AM (IST)
मूसलधार बारिश ने रोकी पर्यटकों की राह
मूसलधार बारिश ने रोकी पर्यटकों की राह

जासं, नैनीताल : सरोवर नगरी में शनिवार की सुबह हुई मूसलधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। नाले उफान पर रहे। कई मागरें पर जलभराव हुआ। तीन घंटे की बारिश में 20 मिमी पानी बरसा।

सुबह आठ बजे शुरू हुई तेज बारिश का क्रम दोपहर 11 बजे तक जारी रहा। इस बीच स्कूली बच्चों की फजीहत हुई, वहीं वीकेंड पर नगर सैर पर सैलानियों को होटलों में दुबकने के लिए मजबूर होना पड़ा। वर्षा थमने के बाद जनजीवन सामान्य हो सका। इसके बाद दोपहर में पुन: हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई, जो कुछ देर बाद ही थम गई। इसके बाद घने कोहरे का आना जाना पूरे दिन लगे लगा रहा। जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार अधिकतम तापमान 20 व न्यूनतम 16 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। इस बीच सैलानियों की काफी भीड़ भाड़ रही। सैलानियों ने पंत पार्क, खुर्पाताल, हिमालय दर्शन, बारापत्थर, स्नोव्यू, प्राणी उद्यान की सैर की। नैनीझील में नौकायन का लुत्फ उठाया। पर्यटक वाहनों की बड़ी संख्या में पहुंचने से नगर में जाम भी लगा रहा। मालरोड में वाहनों की कतार लगने से पैदल चलने वाले राहगीरों को काफी परेशानी उठानी पड़ी।

बागेश्वर को छोड़ शेष कुमाऊं से रूठे बादल

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: देश के कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात हैं। दूसरी तरफ उत्तराखंड में बारिश का आंकड़ा सामान्य से काफी कम है। बीते सप्ताह कई हिस्सों में अच्छी बारिश हुई, लेकिन अभी भी यह सामान्य से 29 फीसद कम है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो कम बारिश का प्रभाव पोस्ट मानसून सीजन (अक्टूबर से दिसंबर) पर दिखाई देगा।

प्रदेश में मानसून सीजन की शुरुआत एक जून से मानी जाती है। 14 अगस्त तक राज्य में 780 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन इस अवधि में केवल 554 मिमी बारिश हुई है। यह स्थिति तब है जब मानसून सीजन का 65 फीसद समय बीत चुका है। प्रदेश में एकमात्र बागेश्वर जिले में सामान्य से 21 फीसद अधिक बारिश हुई है। हालांकि आठ से 14 अगस्त के दौरान बारिश का आंकड़ा थोड़ा बढ़ा है। इस अवधि में प्रदेश में सामान्य से महज नौ फीसद कम बारिश से मौसम वैज्ञानिकों में थोड़ी उम्मीद जगी है। कुमाऊं में सबसे कम बारिश अल्मोड़ा जिले में हुई है।

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