श्रीराम व माता सीता की विवाह की सालगिरह आज, पूजन से मांगलिक कामों में आ रही रुकावट होगी दूर
श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि मार्गशीर्ष पंचमी तिथि को ही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पूर्ण की थी। इस वजह से विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह पर्व बुधवार आठ दिसंबर को है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का माता सीता के साथ विवाह हुआ था। प्रथा के अनुसार हर साल इस दिन को भगवान राम व माता सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठा होते हैं। श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि मार्गशीर्ष पंचमी तिथि को ही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पूर्ण की थी। इस वजह से विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। रामचरितमानस का पाठ करने से घर में सुख-शांति आती है।
इस तरह करें पूजन
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नए कपड़े पहनकर पूजा की चौकी तैयार करें। चौकी पर एक कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें। राम और सीता की मूर्तियां स्थापित कर उन्हें दूल्हे और दुल्हन की तरह तैयार करें। फल, फूल व अन्य पूजा सामग्री के साथ दोनों देवताओं की पूजा आराधना करें। घर में सुविधा न होने पर मंदिर जाकर भी पूजन आदि किया जा सकता है।
विवाह की राह में आ रही अड़चन होगी दूर
ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी ने बताया कि जिन लोगों के विवाह में बाधाएं आ रही हो या फिर विलंब हो रहा हो उन्हें विवाह पंचमी के दिन व्रत रखना चाहिए। विधि-विधान के साथ भगवान राम व माता सीता का पूजन करना चाहिए। प्रभु श्रीराम व माता सीता का विवाह संपन्न करवाना चाहिए। मान्यता है कि इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और सुयोग्य जीवन साथी की प्राप्ति होती है।