Nirjala Ekadashi 2021 : संयम व पानी का महत्व समझाने वाली निर्जला एकादशी आज, 24 व्रतों के बराबर मिलता है फल

Nirjala Ekadashi 2021 वर्ष में आने वाली 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी को सर्वोत्तम माना गया है। ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी कहते हैं कि निर्जला एकादशी व्रत करने से समस्त 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है। इसमें बिना जल ग्रहण किए व्रत रखना होता है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 09:05 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 09:05 AM (IST)
Nirjala Ekadashi 2021 : संयम व पानी का महत्व समझाने वाली निर्जला एकादशी आज, 24 व्रतों के बराबर मिलता है फल
ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को बहुत खास माना जाता है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : संयम का अनुशासन व पानी का महत्व समझाने वाली निर्जला एकादशी इस बार सोमवार 21 जून को है। वर्ष में आने वाली 24 एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी को सर्वोत्तम माना गया है। ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी कहते हैं कि निर्जला एकादशी व्रत करने से समस्त 24 एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है। इसमें बिना जल ग्रहण किए व्रत रखना होता है। एकादशी को जल दान, घट दान, वस्त्र दान का विशेष फल है। कोरोना पीडि़तों की सेवा करने का उत्तम अवसर है।

व्रत को भारतीय संस्कृति में खास महत्व है। बाद में वैज्ञानिकों ने भी व्रत के महत्व को समझा। यह केवल धर्म को विषय नहीं है। इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। शरीर विज्ञानियों ने शरीर की आंतरिक सफाई के लिए व्रत को उपयोगी बताया है। अब पश्चिम के वैज्ञानिक भी व्रत के महत्व को समझने लगे हैं।

पानी का दुरुपयोग रोकने की सीख : ज्योतिषी मंजू

ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को बहुत खास माना जाता है। क्योंकि इस दिन भूखे रहकर व बिना पानी पीये व्रत किया जाता है। इस व्रत का महत्व पद्म पुराण में बताया गया है। पानी की अहमियत समझाने व उसके दुरुपयोग को रोकने के लिए पुराणों में निर्जला एकादशी व्रत बताया गया है। ये व्रत गर्मी के मौसम के दौरान आता है। इसमें पूरे दिन पानी नहीं पीया जाता है। ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी का कहना है कि ऐसे में यह व्रत बताता है कि बिना पानी के एक दिन भी रहना कितना कठिन होता है। इससे पानी बचाने की सीख मिलती है।

पुराणों में मिलता है व्रत का उल्लेख

महाभारत, स्कंद व पद्म पुराण में कहा गया है कि निर्जला एकादशी व्रत करने से हर तरह के पाप खत्म होते हैं। इससे सुख-समृद्धि और उम्र भी बढ़ती है। निर्जला एकादशी व्रत करने से मोक्ष भी मिलता है। तिल और जलदान करने से जाने-अनजाने में हुए कई जन्मों के पाप भी खत्म हो जाते हैं। निर्जला एकादशी पर पूरे दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी