अब क्या हो गया 'शिखा' को ! इलाज के लिए फिर से लाना पड़ा रानीबाग रेस्क्यू सेंटर
पिछले साल अक्टूबर में रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर से नैनीताल चिडिय़ाघर पहुंची दो साल की बाघिन शिखा ने खुद को घायल कर लिया। रेंजर मनोरा बीएस मेहता ने बताया कि चार दिन पहले यह घटना हुई थी। शिखा ने पैरों व अन्य हिस्सों में खुद ही दांत गड़ा दिए।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : जंगल के किस्से बड़े रोचक होते हैं और वन्यजीवों के तो क्या ही कहने। ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं ये 'शिखा' की है। पिछले साल अक्टूबर में रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर से नैनीताल चिडिय़ाघर पहुंची दो साल की बाघिन शिखा ने खुद को ही घायल कर लिया। रेंजर मनोरा बीएस मेहता ने बताया कि चार दिन पहले यह घटना हुई थी। शिखा ने पैरों व अन्य हिस्सों में खुद ही दांत गड़ा दिए। जिसके बाद उसे उपचार के लिए रानीबाग लाया गया। रानीबाग लाने की पीछे वजह यह भी है कि पांच महीने की उम्र से यही उसका ठिकाना था। अब करीब एक कुंतल वजन की हो चुकी शिखा को तब वनकर्मी गोद में पकड़ लाए थे।
दो साल पहले तराई पूर्वी डिवीजन की किशनुपर रेंज में एक शावक कंटीले तारों में फंस गया था। जिसके बाद वन विभाग की टीम बाघिन को रेस्क्यू कर रानीबाग सेंटर में ले आई। करीब डेढ़ साल तक शिखा नाम की यह बाघिन यहां बने बड़े बाड़े में रही। अक्टूबर 2020 में उसे जू में शिफ्ट कर दिया गया। कई दिनों तक उसे खुले में नहीं आने दिया गया। क्योंकि, उसे इंसानों के बीच रहने की आदत नहीं थी। रानीबाग में वह सिर्फ चिकित्सक व खाना देने वाले स्टाफ के इशारों को समझती थी। वहीं, रेंजर मेहता ने बताया कि खुद को घायल करने की वजह से पिछले चार दिन से उसका रानीबाग में ही इलाज चल रहा है।
घायल टाइगर का उपचार जारी
सोमवार को सात घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद तराई पूर्वी वन प्रभाग की टीम ने गौलापार के दानीबंगर से एक घायल टाइगर को टै्रंकुलाइज कर काबू पाया था। आठ साल के इस बाघ के पैरों व पंजों पर चोट के निशान मिले थे। जबकि शारीरिक तौर वह सामान्य बाघों की तरह था। मतलब किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं थी। जिसके बाद रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर में उसे उपचार के लिए भेज दिया गया। रेंजर आरपी जोशी ने बताया कि डाक्टरों की टीम उसके स्वास्थ्य पर नजर रख रही है।
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