अब कार्बेट नेशनल पार्क के पर्यटन क्षेत्र से नहीं पकड़ा जाएगा बाघ

हरिद्वार स्थित राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए एक बाघिन को 23 दिसंबर को कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के बिजरानी पर्यटन जोन व बाघ को आठ जनवरी को झिरना पर्यटन जोन से पकड़ा गया था।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 08:18 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 08:18 AM (IST)
अब कार्बेट नेशनल पार्क के पर्यटन क्षेत्र से नहीं पकड़ा जाएगा बाघ
बाघ को पर्यटन क्षेत्र से न पकडऩे की असल वजह पर्यटकों की नाराजगी है।

जागरण संवाददाता, रामनगर (नैनीताल) : कार्बेट नेशनल पार्क से तीसरे बाघ को भी राजाजी टाइगर रिजर्व भेजने की तैयारी शुरू हो गई है। इस बार कार्बेट प्रशासन बाघ को पर्यटन क्षेत्र की बजाय भीतरी हिस्से से पकड़ेगा। इससे पर्यटन पर किसी प्रतिकूल असर की आशंका नहीं रहेगी। हरिद्वार स्थित राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए एक बाघिन को 23 दिसंबर को कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के बिजरानी पर्यटन जोन व बाघ को आठ जनवरी को झिरना पर्यटन जोन से पकड़ा गया था। दोनों को राजाजी पार्क पहुंचा दिया गया। इसके बाद तीसरे बाघ को पकडऩे का अभियान रोक दिया गया। इस बीच राजाजी भेजे गए बाघ व बाघिन की गतिविधि पर नजर रखी गई। वहां बाघों के लिए स्थिति अनुकूल होने के बाद आला अधिकारियों ने करीब 12 दिन बाद से तीसरे बाघ को पकडऩे का निर्णय लिया। इसके लिए बाघ व क्षेत्र को चिह्नित किया जा रहा है।

विरोध के बाद बदलना पड़ा निर्णय

बाघ को पर्यटन क्षेत्र से न पकडऩे की असल वजह पर्यटकों की नाराजगी है। पहले बाघ व बाघिन पर्यटन क्षेत्र से ही पकड़े गए थे। इस पर इंटरनेट मीडिया पर गंभीर सवाल उठाए गए। वजह बताई गई कि पर्यटन स्थलों से बाघ पकडऩे से पर्यटन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल ने बताया कि तीसरे बाघ को भी पकडऩे की कवायद शुरू हो गई है। प्रयास है कि उसे भीतरी क्षेत्र से पकड़ा जाए। परिस्थिति विपरीत होने पर ही बाघ को पर्यटन क्षेत्र से पकड़ा जाएगा।

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