शारदा नदी के टापू में तीन दिन तक फंसे रहे तीन लोग, ट्यूब के सहारे नेपाल होकर पहुंचे घर

टापू में तीन दिन हलक में जान लिए तीन लोग फंसे रहे। बारिश थमी और नदी में पानी कम हुआ तो यह लोग ट्यूब के सहारे नेपाल पहुंचे। जहां से वह घर पहुंचे और आप बीती सुनाई। जिसे सुन लोगों के होश उड़ गए।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 05:57 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 05:57 PM (IST)
शारदा नदी के टापू में तीन दिन तक फंसे रहे तीन लोग, ट्यूब के सहारे नेपाल होकर पहुंचे घर
तीन दिन तक लोगों का जीना मुहाल हो गया। बारिश में शारदा चुंगी निवासी तीन लोग भी फंस गए।

दीपक सिंह धामी, टनकपुर : शारदा का टापू नंबर 60, गुप अंधेरा, पानी का सरसराता शोर, चलती तेज हवा, टापू में कमर तक पानी और ऊपर से झमाझम बारिश। चार पेड़। यह खौफनाक मंजर किसी फिल्म का नहीं बल्कि तीन लोगों की दिल दहला देनी वाली घटना। टापू में तीन दिन हलक में जान लिए तीन लोग फंसे रहे। बारिश थमी और नदी में पानी कम हुआ तो यह लोग ट्यूब के सहारे नेपाल पहुंचे। जहां से वह घर पहुंचे और आप बीती सुनाई। जिसे सुन लोगों के होश उड़ गए। 

तीन दिन तक हुई बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। तीन दिन तक लोगों का जीना मुहाल हो गया। इसी आफत की बारिश में शारदा चुंगी निवासी तीन लोग भी फंस गए। चुंगी निवासी लेखपाल उर्फ गुल्लू, रामचंद्र उर्फ छुटका व राजू तीनों लोग 17 अक्टूबर को लकड़ी बीनने के लिए ट्यूब के सहारे शारदा नदी के टापू नंबर 60 तक पहुंच गए। शाम होते बारिश शुरू हो गई और नदी का पानी बढऩे लगा। पानी बढऩे के बाद वह टापू में सुरक्षित स्थान पर रूक गए। टापू में चार पेड़ है। पेड़ के सहारे तीनों लोग बैठ गए। रात्रि जैसे तैसे कटी तो 18 अक्टूबर को बारिश ने रौद्र रूप ले लिया और नदी में पानी में बढ़ता चला गया। धीरे-धीरे कर पानी टापू पर पहुंच गया।

टापू में पानी उनकी कमर तक पहुंच गया। वह पेड़ पर चढ़े रहे। खाने पीने के नाम पर उनके पास मात्र एक दिन की ही खाद्य सामग्री थी। पानी गंदा होने के कारण वह प्यास भी नहीं बुझा पाए। दो दिन भूखे प्यासे रहने के बाद वह बुधवार को थोड़ा पानी कम होने पर उन्होंने हिम्मत जुटाई और ट्यूब के सहारे वह नेपाल के ब्रहमदेव पहुंचे। जहां से वह बुधवार को दोपहर पैदल घर पहुंचे और घटना के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि उनके पास ही दूसरा टापू भी था पानी बढऩे के कारण वह भी उसमें समा गया। पानी का ऐसा रौद्र रूप उन्होंने कभी नहीं देखा। 2013 की आपदा में भी ऐसा नहीं देखने को मिला।

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