जौंस इस्टेट व सातताल में रोपे जाते है हजारों पौधे

ाीमताल नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत एक बड़ा हिस्सा आज भी जंगल है। यह जंगल एक व्यक्ति द्वारा नहीं लगाया गया बल्कि इसके लिए पूरा क्षेत्र सहयोग करता है। यही कारण है कि घने जंगल होने के कारण जौंस इस्टेट व सातताल का जंगल पक्षी और जानवर में रुचि रखने वालों के लिए पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। यहां हर साल लाखों पौधे रोपे जाते है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 05:59 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 06:20 AM (IST)
जौंस इस्टेट व सातताल में रोपे जाते है हजारों पौधे
जौंस इस्टेट व सातताल में रोपे जाते है हजारों पौधे

संस, भीमताल : भीमताल नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत एक बड़ा हिस्सा आज भी जंगल है। यह जंगल एक व्यक्ति द्वारा नहीं लगाया गया बल्कि इसके लिए पूरा क्षेत्र सहयोग करता है। यही कारण है कि घने जंगल होने के कारण जौंस इस्टेट व सातताल का जंगल पक्षी और जानवर में रुचि रखने वालों के लिए पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। यहां हर साल लाखों पौधे रोपे जाते है।

2019 में पांच मई को ऑल इंडिया रेडियो द्वारा यहां की पक्षियों की आवाज का लाइफ शो प्रसारित किया गया था, जिसमें विश्व के 18 देशों के पक्षी विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया और लगभग एक घंटे तक यह कार्यक्रम विश्व के आधे देशों में सुना गया। यहां के लोग पर्यावरण के प्रति इतने सजग हैं कि हर साल क्षेत्र में हजारों की संख्या में लोग पौधरोपण करते हैं। इस कार्य में जहां क्षेत्र के निवासी गौरी राणा, नगर पंचायत अध्यक्ष देवेंद्र चनौतिया, पीटर स्मैटाचैक, विक्रम कंडारी, लांबा, संजय महरा सहयोग देते हैं। यह सिलसिला कई दशकों से जारी है।

इनसेट

1951 में पौधरोपण की हुई शुरुआत

भीमताल के जौंस इस्टेट का घना जंगल दूर से ही दिखाई देता है और हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जंगल का श्रेय तत्कालीन मूल रूप से जर्मन निवासी फ्रैंड स्मैटाचैक सीनियर का है। 1951 में जब यहां आए तो चाय बागान था। उन्होंने वहीं पौधरोपण की शुरुआत की। आज वहां घना जंगल है। उनके पुत्र वर्तमान पीटर स्मैटाचैक आज भी पेड़ को उगे रहने की परंपरा निभा रहे हैं उन्होंने कई सौ नाली में जंगल के पेड़ों को आज भी बचा कर रखा है।

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