हल्द्वानी के एक लाख घरों में सीवर नहीं, लागू होगा टैंकर सिस्टम, छूटे इलाकों में नहीं बिछेगी सीवर लाइन

उड़ीसा के भुवनेश्वर और पुरी की तर्ज पर यहां टैंकर सिस्टम लागू होगा। घरों के सीवर टैंक से मलबा उठाने के बाद सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में उसका निस्तारण किया जाएगा। एक अप्रैल 2022 से यह योजना लागू हो जाएगी।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 08 Sep 2021 07:12 AM (IST) Updated:Wed, 08 Sep 2021 07:12 AM (IST)
हल्द्वानी के एक लाख घरों में सीवर नहीं, लागू होगा टैंकर सिस्टम, छूटे इलाकों में नहीं बिछेगी सीवर लाइन
टैंकरों के माध्यम से टैंक के मलबे को एसटीपी लाना ज्यादा फायदेमंद रहेगा।

गोविंद बिष्ट, हल्द्वानी : अमृत योजना के तहत शहर के जिन इलाकों में सीवर लाइन नहीं बिछ सकी, वहां जल जीवन मिशन के तहत भी काम नहीं होगा। उड़ीसा के भुवनेश्वर और पुरी की तर्ज पर यहां टैंकर सिस्टम लागू होगा। घरों के सीवर टैंक से मलबा उठाने के बाद सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में उसका निस्तारण किया जाएगा। एक अप्रैल 2022 से यह योजना लागू हो जाएगी। नगर निगम इन दिनों सर्वे में जुटा है। 80 फीसद सर्वे हो चुका है। टैंकर सिस्टम के दायरे में हल्द्वानी नगर निगम के करीब एक लाख घर आएंगे।

अमृत योजना के तहत जल निगम ने नैनीताल रोड के कुछ हिस्सों, राजपुरा, इंदिरानगर आदि इलाकों में सीवर लाइन बिछाई थी। जल संस्थान की तरफ से लोगों को कनेक्शन दिए गए, लेकिन नगर निगम क्षेत्र का बड़ा इलाका इसमें कवर नहीं हो सका। बीते दिनों जल निगम ने जल जीवन मिशन के तहत छूटे हुए इलाकों को फंडिंग दिलवा काम करवाने के लिए सर्वे भी किया था, लेकिन अब यह योजना अधर में लटक सकती है। जल संस्थान के अधीक्षण अभियंता विशाल कुमार ने बताया कि भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक अब छूटे हुए इलाकों में सीवर लाइन बिछाने के लिए बजट नहीं मिलेगा। फीकल स्लज एंड सेप्टेज मैनेजमेंट के तहत इन्हें कवर किया जाएगा। इसके तहत नगर निगम घरों में बने सीवर टैंक से मलबा उठाने के बाद सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में इन्हें खाली किया जाएगा। गौला बाइपास पर एसटीपी के निर्माण का काम पहले से चल रहा है।  
अधीक्षण अभियंता जल संस्थान विशाल कुमार ने बताया कि फीकल स्लज एंड सेप्टेज मैनेजमेंट के तहत नया सिस्टम तैयार होगा। सर्वे आदि की मॉनीटङ्क्षरग के लिए कमेटी भी बनी है। सीवर लाइन बिछाने में करोड़ों रुपये का बजट खर्च होने के साथ लंबा समय भी लगता है। ऐसे में टैंकरों के माध्यम से टैंक के मलबे को एसटीपी लाना ज्यादा फायदेमंद रहेगा। जेजेएम के माध्यम से भी छूटे इलाकों में अब सीवर लाइन नहीं डलेगी।
भुवनेश्वर में महिलाओं के जिम्मे
अधीक्षण अभियंता विशाल कुमार ने बताया कि भुवनेश्वर में महिला संगठन द्वारा पूरे सिस्टम को चलाया जाता है। सरकार उन्हें हर माह एक लाख रुपये देती है। अफसरों के मुताबिक टैंकर के प्लांट पहुंचने पर मल और गाद को अलग कर दिया जाएगा। टैंक खाली करने के समय से एक माह पहले गृहस्वामी को एसएमएस से अलर्ट भी कर दिया जाएगा।
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