नजूल भूमि पर मालिकाना हक मिलने की राह आसान, कैबिनेट ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

इस फैसले से हक के लिए संघर्ष कर रहे लोगों में खुशी का माहौल है। इसका फायदा करीब 20 हजार से अधिक परिवारों को मिल सकता है। हक मिलने के लिए पहले जमीन को फ्री होल्ड किया जाएगा। इसके लिए आदेश जारी होगा।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 12:04 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 12:04 AM (IST)
नजूल भूमि पर मालिकाना हक मिलने की राह आसान, कैबिनेट ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
मालिकाना हक देने के फैसले से लोगों के चेहरे पर खुशी दिखी। कालोनियां विनियमित भी हो सकती हैं।

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : नजूल भूमि पर मालिकाना हक के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इससे नजूल भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक मिलने की राह आसान हो गई। प्रदेश सरकार जल्द नजूल नीति का अध्यादेश जारी कर सकती है। इस फैसले से हक के लिए संघर्ष कर रहे लोगों में खुशी का माहौल है। इसका फायदा करीब 20 हजार से अधिक परिवारों को मिल सकता है। हक मिलने के लिए पहले जमीन को फ्री होल्ड किया जाएगा। इसके लिए आदेश जारी होगा।

रुद्रपुर, गदरपुर, किच्छा, हल्द्वानी व रामनगर में हजारों परिवार नजूल भूमि पर बसे हैं। सबसे ज्यादा रुद्रपुर में बसे हैं। बताया जाता है कि वर्ष, 1975 में अविभाजित उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे। उन्होंने नजूल भूमि पर बसे लोगों को पट्टे देने के नोटिस जारी किए थे, मगर किसी कारण से लोगों को पट्टे नहीं मिल सके। इसके बाद मालिकाना हक को लेकर मांग उठती रही। उत्तराखंड बनने के बाद भी सभी दलों के लोग मालिकाना हक की मांग करते रहे हैं, मगर किसी सरकार ने हक नहीं दिला सकी। वर्ष, 2017 में भाजपा की सरकार बनी और बाद में नगर निकायों के चुनाव के दौरान रुद्रपुर में आयोजित जनसभा में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र ङ्क्षसह रावत ने नजूल भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक देने की घोषणा की थी।

हालांकि नजूल नीति बनाने की बात कही। सरकार की ओर से बनाई गई नजूल नीति को हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद खारिज कर दिया था। साथ ही नजूल भूमि को खाली कराने के आदेश भी दिए थे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली तो मामला फिलहाल विचाराधीन है। त्रिवेंद्र रावत की जगह तीरथ ङ्क्षसह रावत को सीएम बनाया गया, मगर उन्होंने भी कम समय में हक नहीं दिला सके। खटीमा के विधायक पुष्कर ङ्क्षसह धामी सरकार ने मालिकाना हक दिलाने का भरोसा दिलाया था। शुक्रवार को देहरादून में हुई कैबिनेट की बैठक में नजूल नीति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे लोगों में खुशी का माहौल है। बताया जा रहा है कि कागजों के मुताबिक रुद्रपुर में नजूल भूमि पर 14756 परिवार बसे हैं। जबकि इससे अधिक यानी करीब 20 से 22 हजार परिवार बसे हैं। मालिकाना हक देने के फैसले से लोगों के चेहरे पर खुशी दिखी। हक मिलने से कालोनियां विनियमित भी हो सकती हैं।

इन कालोनियों में है नजूल भूमि 
संजय नगर, शिव नगर, भदईपुरा, रेशमबाड़ी, पहाडग़ंज, रम्पुरा, सीर गोटिया, गांधी कालोनी, सुभाष कालोनी, आदर्श कालोनी, रवींद्र नगर, दरिया नगर, इंदिरा, बंगाली कालोनी में नजूल भूमि पर लोग बसे हैं। मालिकाना हक मिलने पर लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के साथ ही बैंक से लोन भी ले सकेंगे।
क्या है नजूल भूमि
तराई जंगलों से पटी थी। आजादी के बाद यहां पाकिस्तान व बांग्लादेश से आए विस्थापितों को नजूल भूमि पर बसाया गया। नजूल भूमि वह है, जो न तो सरकार की न ही राजस्व गांव की। इसलिए नजूल भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक नहीं मिला। जब नजूल नीति का अध्यादेश जारी हो जाएगा तो इसके बाद मालिकाना हक दिलाने की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी।
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