कोरोना गाइड लाइन का पालन कर खुद को संक्रमण से बचाए हुए हैं जाख रावत के ग्रामीण

गांव में सामूहिक कार्यक्रमों पर कोरोना की पहली लहर के दौरान ही रोक लगा दी गई थी। घर से बाहर निकलने पर मास्क अनिवार्य कर दिया गया था लोग इसका सख्ती से पालन कर रहे हैं। ग्राम प्रधान नियमित रू प से गांव को सेनेटाइज करवा रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 06:23 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 06:23 AM (IST)
कोरोना गाइड लाइन का पालन कर खुद को संक्रमण से बचाए हुए हैं जाख रावत के ग्रामीण
कोविड के लिए जो गाइड लाइन तय है, उसका पालन किया जाए तो संक्रमण को रोका जा सकता है।

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: संक्रमण से बचना है तो गाइड लाइन का पालन सख्ती से करना ही होगा। इसे बेरीनाग के जाख रावत के ग्रामीणों ने अब तक सही साबित कर दिखाया है। गांव में न तो पहली लहर में लोग संक्रमण का शिकार हुए और नहीं अब तक संक्रमण ने किसी को छुआ है।

विकास खंड मुख्यालय से 13 किमी. दूर मुख्य सड़क से लगे जाख रावत गांव के ग्रामीणों ने खुद को गांव में ही कैद नहीं रखा है, ग्रामीण जरूरी चीजों की खरीददारी के लिए बाजार भी आ रहे हैं, लेकिन कोविड गाइड लाइन का पूरी ईमानदारी से पालन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने पहली लहर के दौरान ही नियम तय कर लिए थे। गांव में सामूहिक कार्यक्रमों पर कोरोना की पहली लहर के दौरान ही रोक लगा दी गई थी। घर से बाहर निकलने पर मास्क अनिवार्य कर दिया गया था, लोग इसका सख्ती से पालन कर रहे हैं। ग्राम प्रधान नियमित रू प से गांव को सेनेटाइज करवा रहे हैं। करीब 400 की आबादी वाले इस गांव में बड़ी तादात बुजुर्गो की है, बावजूद इसके आज तक गांव में एक भी संक्रमण का का मामला नहीं आया है। बाहर से आने वाले लोगों के लिए गांव के पंचायत घर में क्वारंटीन की व्यवस्था की गई है। ग्रामीणों का मानना है कि कोविड- 19 के लिए जो गाइड लाइन तय की गई है, उसका पालन किया जाए तो संक्रमण को रोका जा सकता है।

खेतीबाड़ी है गांव की आजीविका का आधार

गांव के दो तिहाई आबादी खेतीबाड़ी से जुड़ी है। सुबह पांच बजे से ग्रामीणों की दिनचर्या शुरू हो जाती है। अपने खेतों से ही लोग राशन, सब्जी, मसाले आदि का बड़ा हिस्सा जुटा लेते हैं। पशुपालन से लोगों का ताजा दूध, दही, घी आदि मिल जाता है, जो इम्यून सिस्ट का आधार है। ग्रामीणों ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए नियम तय कर रखे हैं। गांव में सामूहिक कार्यक्रम नहीं किए जा रहे हैं। विचार विमर्श के लिए भी लोग काफी दूरी पर बैठकर बातचीत कर रहे हैं। गांव में नियमित सेनेटाइजेशन हो रहा है। शारीरिक दूरी के मानक पूरी कड़ाई के साथ पालन किए जा रहे हैं।

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