ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती की अनूठी पहल ने खींचा सरकार का ध्यान, पारंपरिक मकान व नौलों को ऐपण से सजा रिवर्स माइग्रेशन का दे रही संदेश

मीनाक्षी खाती इन दिनों फिर सुर्खियों में हैं। अब की वह लोककला के प्रचार-प्रसार के साथ पलायन से बेजार गांवों को रिवर्स माइग्रेशन के जरिये दोबारा आबाद करने की पहल को लेकर चर्चाओं में हैं। खास बात कि पहाड़ की इस बेटी ने खुद अपने गांव का रुख किया है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 05:50 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 09:55 AM (IST)
ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती की अनूठी पहल ने खींचा सरकार का ध्यान, पारंपरिक मकान व नौलों को ऐपण से सजा रिवर्स माइग्रेशन का दे रही संदेश
मुख्यमंत्री व संस्कृति मंत्री ने ट्वीट कर पहाड़ की इस बेटी की पहल को सराहनीय बताया है।

जागरण संवाददाता, रानीखेत (अल्मोड़ा) : उत्तराखंड की अनूठी लोकविधा को देश-दुनिया में नई पहचान दिलाने वाली 'ऐपण गर्लÓ मीनाक्षी खाती इन दिनों फिर सुर्खियों में हैं। अब की वह लोककला के प्रचार-प्रसार के साथ पलायन से बेजार गांवों को रिवर्स माइग्रेशन के जरिये दोबारा आबाद करने की पहल को लेकर चर्चाओं में हैं। खास बात कि पहाड़ की इस बेटी ने पहले खुद अपने गांव का रुख किया है। ताकि अन्य लोगों को भी वीरान पड़े घरों के दरवाजे खोलने व सूने पड़े पारंपरिक नौलों का सन्नाटा दूर करने के लिए प्रेरित किया जा सके। साथ ही गांव में रहकर मकानों व मंदिरों की दीवारों को ऐपण कला से सजाने संवारने में जुटी हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने ट्वीट कर पहाड़ की इस बेटी की पहल को सराहनीय बताया है।

भाबर में बस चुकी 'ऐपण गर्लÓ मीनाक्षी माटी का कर्ज चुकाने इन दिनों अपने पैतृक गांव मेहलखंड (ताड़ीखेत ब्लॉक) पहुंची हैं। पखवाड़ाभर से वह गांव की गतिविधियों व ऐपण कला को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नई पहचान दिलाने में जुटी हैं। ग्रामीण परिवेश, वातावरण, पहाड़ी जीवनशैली, गर्मी फिर बारिश से पर्वतीय वादियों के सौंदर्य में निखार को वह इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि इंटरनेट माध्यमों से प्रवासियों को रिवर्स माइग्रेशन का संदेश दे रही हैं। वह भी ठेठ पहाड़ी बोली में। लगे हाथ मीनाक्षी गांव में ऐपण कला की नई विधाओं से महिलाओं व युवतियों को रू ब रू करा रही हैं। उसकी इस पहल के प्रवासी कायल हो रहे तो सीएम तीरथ व संस्कृति मंत्री ने भी 'दैनिक जागरणÓ की खबर देख ट्वीट किया है।

ये है गांव आने का मकसद

गांव से दोबारा जुडऩा। अपनी माटी थाती के लिए कुछ करना। गांव की लोकसंस्कृति को आत्मसात करना और कुछ नया करने की कोशिश। खासतौर पर पारंपरिक ऐपण की बारीकियों को गांव के बुजुर्गों से सीख नई पीढ़ी को लोकविधा ऐपण का प्रशिक्षण देना। इस अनूठी लोककला को नए स्वरूप में प्रस्तुत कर इसे रोजगारपरक बना युवाओं को जोडऩा।

रिवर्स पलायन वक्त की जरूरत

'ऐपण गर्लÓ कहती हैं कि मैदानी क्षेत्रों में बस चुके अधिकांश वहीं के होकर रह गए हैं। सफल लोगों को गांव लौट ग्रामीण विकास में योगदान जरूर देना चाहिए। वैश्विक महासंकट से उपजे हालात को अवसर में बदलने के लिए यह बेहद जरूरी हो चुका है।

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