बागेश्वर में खिली धूप पर दुश्वारियां बरकरार, शहर से लेकर गांव तक पेयजल किल्लत

अक्टूबर माह में केवल दो दिन में रिकार्ड तोड़ बारिश होने के कारण सभी व्यवस्थाएं ढेर हो गईं हैं। संचार सेवा ठप होने से बैंक डाकघर और अन्य काम पिछले दो दिन से प्रभावित चल रहे हैं। एटीएम से भी पैसा नहीं निकल पा रहा है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 05:46 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 05:46 PM (IST)
बागेश्वर में खिली धूप पर दुश्वारियां बरकरार, शहर से लेकर गांव तक पेयजल किल्लत
दूध, सब्जी और अन्य सामान भी हल्द्वानी मंडी से यहां नहीं पहुंच सका है।

बागेश्वर: तीसरे दिन सूर्यदेव के दर्शन हुए। लेकिन दुश्वारियां बरकरार रही। सड़कों पर भारी मात्रा में मलबा आने से गांवों की यातायात सुविधा अभी सुचारू नहीं हो सकी है। शहर से लेकर गांव तक पेयजल की समस्या भी जस की तस बनी हुई है। संचार सेवा पूरी तरह ध्वस्त है। दूध, सब्जी और अन्य सामान भी हल्द्वानी मंडी से यहां नहीं पहुंच सका है।

अक्टूबर माह में केवल दो दिन में रिकार्ड तोड़ बारिश होने के कारण सभी व्यवस्थाएं ढेर हो गईं हैं। संचार सेवा ठप होने से बैंक, डाकघर और अन्य काम पिछले दो दिन से प्रभावित चल रहे हैं। एटीएम से भी पैसा नहीं निकल पा रहा है। दूध, सब्जी और अन्य जरूरतमंद सामान नहीं आने से लोगों को गांवों का रुख करना पड़ रहा है। छोटे बच्चों को दूध की आपूर्ति नहीं होने से माता-पिता परेशान हो गए हैं। उन्हें शहर के नजदीक के गांवों का रुख करना पड़ रहा है। गांवों से दूध 50 रुपये लीटर खरीद रहे हैं और वहां तक पहुंचने में उन्हें अलग से धन व्यय करना पड़ रहा है। 

हल्द्वानी मंडी से यहां सब्जियों और अन्य जरूरी सामान की आपूर्ति होती है। सड़कें बंद होने से पिछले दो दिनों से मालवाहन भी नहीं चले। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली सब्जियों के दाम भी बढ़ गए हैं। आलू 40, टमाटर 80 और प्याज 60 रुपये किलो बिक रहा है। हालांकि अभी राशन की कमी नहीं है। बावजूद आटा 50 रुपये किलो और दाल 150 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गई है। जिसके कारण गरीब परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। सस्ता गल्ला विक्रेताओं की हड़ताल का भी असर साफ दिखाई देने लगा है।

कपकोट, धरमघर मोटर मार्ग भूस्खलन से बंद

बुधवार को मौसम खुलने के बाद भूस्खलन बढ़ने लगा है। आरे के समीप पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा सड़क पर गिरने से कपकोट, दुग नाकुरी, शामा, सौंग, भराड़ी, धरमघर आदि क्षेत्रों की यातायात व्यवस्था पटरी से उतर गई है। लगभग 50 हजार से अधिक लोगों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। लोग जरूरी काम के लिए पैदल चलकर जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं।

शहर में पेयजल किल्लत

शहर के दांगण, कठायतबाड़ा, तहसील रोड, मजियाखेत, मंडलसेरा, चौरासी, घटबगड़, नदीगांव, सैंज आदि स्थानों पर पिछले दो दिन से पेयजल की आपूर्ति नहीं हो सकी है। जिसके कारण लोग प्राकृतिक स्रोतों का रुख कर रहे हैं। बारिश होने के कारण प्राकृतिक स्रोतों में पानी बढ़ा है। एक से लेकर तीन किमी तक खड़ी चढ़ाई को नाप कर लोग पानी की व्यवस्था करने में जुटे हैं। 

जिला मुख्यालय की सड़कें बनी तलैया

मंडलसेरा बाइपास बारिश के बाद पानी और मिट्टी से लथपथ हो गया है। आरे-द्यांगण बाइपास में चीड़ के पेड़ गिर गए हैं। कई स्थानों पर भूस्खलन होने के कारण भारी मात्रा में मलबा और पत्थर सड़क तक पहुंच गया है। गरुड़, कांडा, काफलीगैर आदि स्थानों को जोड़ने वाले मार्ग भी दुर्घटना को दावत दे रहे हैं। जौलकांडे-लेटी, गिरेछीना मोटर मार्ग में भी यातायात पूरी तरह ठप हो गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में गहराया बिजली संकट

बागेश्वर, गरुड़, कपकोट, कांडा, काफलीगैर, दुग नाकुरी तहसील के अलावा शामा उपतहसील के तमाम गांवों में विद्युत आपूर्ति चरमरा गई है। हालांकि शहर में विद्युत आपूर्ति सुचारू है। जिसके कारण लोगों के जरूरी काम ठप हो गए हैं। लघु, मझौले उद्योगों पर भी बिजली की मार पड़ी है।

जिला आपदा अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि बंद सड़कों को खोलने के लिए लोडर मशीनें लगाई गई हैं। बिजली, पानी और संचार सेवाओं को दुरुस्त करने के निर्देश जिलाधिकारी ने संबंधितों को दिए हैं। मौसम खुलने के साथ ही व्यवस्थाएं सुचारू होने की उम्मीद है।

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