देशभर में फैल रही चम्पावत की शहद की मिठास, देहरादून, दिल्ली व मुंबई से आ रही डिमांड

जौल गांव निवासी हरीश पिछले 10 वर्षों से जैविक खेती और मौन पालन से जुड़े हैं। उनके शहद की डिमांड देहरादून दिल्ली मुंबई तक है। शहद के साथ वे मधुमक्खियों की सप्लाई भी करते हैं। शुद्ध और पूर्णत जैविक होने से उनके शहद की मांग लगातार बढ़ रही है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 06:33 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 06:33 AM (IST)
देशभर में फैल रही चम्पावत की शहद की मिठास, देहरादून, दिल्ली व मुंबई से आ रही डिमांड
वह लोगों को मौन पालन का प्रशिक्षण देकर उन्हें तकनीकी सहयोग भी दे रहे हैं।

विनोद चतुर्वेदी, चम्पावत। वर्तमान में पहाड़ के अधिकांश पढ़े लिखे युवा नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। लेकिन कुछ लोग घर में ही स्वरोजगार पैदा कर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहे हैं, बल्कि औरों को भी रोजगार दे रहे हैं। सूखीढांग क्षेत्र के हरीश जोशी भी इनमें शामिल हैं। वह जैविक खेती खासकर शहद उत्पादन के क्षेत्र में जिले में अग्रणी हैं। उनके शहद की डिमांड देहरादून, दिल्ली, मुंबई तक है। शहद के साथ वे मधुमक्खियों की सप्लाई भी करते हैं।

जौल गांव निवासी हरीश पिछले 10 वर्षों से जैविक खेती और मौन पालन से जुड़े हैं। अपने घर में लगभग 200 मौन बक्सों में वे पांच प्रकार का शहद तैयार कर रहे हैं, जिसकी डिमांड काफी अधिक है। शहद की वैरायटी में व्हाइट हनी, मल्टी प्लोरा, कडुवा शहद, क्रीम हनी और छत्ता शहद शामिल हैं। यह शहद पहाड़ी इंडिका प्रजाति की मधुमक्खी से प्राप्त किया जाता है, जो सिर्फ फूलों के रस से इसे तैयार करती है। शुद्ध और पूर्णत: जैविक होने से उनके शहद की मांग लगातार बढ़ रही है। हरीश जोशी ने बताया कि वह ऑनलाइन डिमांड या फिर ट्रांसपोर्ट द्वारा शहद की सप्लाई करते हैं। सभी प्रकार के शहद की कीमत 700 रुपया प्रति किलो है।

खास बात यह है कि वह चम्पावत जिले के अलावा पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर और गढ़वाल के विभिन्न जिलों में मधुमक्खियों की सप्लाई भी करते हैं। वर्तमान में वह लोगों को मौन पालन का प्रशिक्षण देकर उन्हें तकनीकी सहयोग भी दे रहे हैं। उनके साथ जुड़े कई लोगों को शहद उत्पादन एवं विपणन में रोजगार भी मिला है। इन सबसे बावजूद उन्हें संबंधित विभागों एवं प्रशासनिक स्तर पर अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

बी ग्रेडिंग सेंटर न होने का है मलाल

हरीश जोशी लगातार चार साल से बी ग्रेडिंग सेंटर (मौन नर्सरी) स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बी ग्रेडिंग सेंटर बनने से जिले में हजारों लोगों को मौन पालन के क्षेत्र में रोजगार से जोड़ा जा सकता है। यह मांग वह जनप्रतिनिधियों के अलावा मुख्यमंत्री के सामने भी रख चुके हैं। पिछले दिनों टनकपुर के एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने उनके घर जाकर मौन पालन और जैविक कृषि उत्पादन का निरीक्षण कर उन्हें हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया था।

जैविक खेती भी कर रहे हैं जोशी

हरीश जोशी 30 नाली में मडुवा, सरसों, गेहूं, मसूर, गहत के साथ टमाटर, शिमला मिर्च, बैगन आदि सब्जियों की जैविक खेती भी कर रहे हैं। अपने घर में ही वे सरसों का तेल निकालकर उसकी सप्लाई करते हैं। उनके जैविक उत्पादों की मांग बाहरी राज्यों में भी है। इस कार्य में उनके परिवार के सदस्य भी हाथ बंटा रहे हैं।

टनकपुर के एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने बताया कि जौल गांव निवासी हरीश जोशी मौन पालन और शहद उत्पादन के साथ आर्गेनिक खेती कर रहे हैं। मैंने उनके घर जाकर उनके कार्य को देखा है। उन्हें हर स्तर पर प्रोत्साहित किया जाएगा। उत्पादित माल के विपणन में आ रही दिक्कत को भी दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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