जिया रानी की वीर गाथा से गूंजा गार्गी का तट, आधी रात में जागर लगाकर आराध्य व कुल देवी का किया गुणगान

गार्गी नदी में स्नान और जिया रानी की गुफा में देवी की पूजा करने के बाद बुधवार रात जागर लगाई। मशकबीन ढोल-दमाऊं व थाली धुन के साथ जिया रानी की वीर गाथा के फूटते स्वरों से माहौल भक्ति व उत्साहमय हो गया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 05:40 AM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 09:28 AM (IST)
जिया रानी की वीर गाथा से गूंजा गार्गी का तट, आधी रात में जागर लगाकर आराध्य व कुल देवी का किया गुणगान
गार्गी में स्नान के बाद सभी के कल्याण की कामना करने के साथ कत्यूरी वंशज अपने घरों को लौट जाएंगे।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कुमाऊं व गढ़वाल के विभिन्न हिस्सों से रानीबाग चित्रेश्वर धाम पहुंचे कत्यूरी वंशजों ने अपनी आराध्य व कुलदेवी जिया रानी की पूजा की। गार्गी नदी में स्नान और जिया रानी की गुफा में देवी की पूजा करने के बाद बुधवार रात जागर लगाई। मशकबीन, ढोल-दमाऊं व थाली धुन के साथ जिया रानी की वीर गाथा के फूटते स्वरों से माहौल भक्ति व उत्साहमय हो गया।

बुधवार शाम पांच बजे से लोगों का रानीबाग पहुंचना शुरू हो गया। रात नौ बजे तक अलग-अलग दलों में लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। गार्गी में स्नान करने के बाद देवी का ध्यान किया गया। कुमाऊं के भिकियासैंण, भतरौजखान, रानीखेत, सल्ट, चौखुटिया, रामनगर से आठ दलों में लोग पहुंचे। बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। किशन लाल आर्य, दिनेश कुमार, राम सिंह, हेम चंद्र आदि ने बताया कि वह हर साल यहां रानीबाग आकर जिया रानी की पूजा करते हैं। कोविड-19 के कारण इस बार गढ़वाल मंडल से कम लोग पहुंचे। गुरुवार सुबह मकर संक्रांति को गार्गी में स्नान करने के बाद सभी के कल्याण की कामना करने के साथ कत्यूरी वंशज अपने घरों को लौट जाएंगे।

निगम ने बनाए छह अस्थायी शौचालय

चित्रशिला घाट पर नगर निगम ने मैदान समतलीकरण, साफ-सफाई के साथ रोशनी का प्रबंध किया है। सहायक नगर आयुक्त विजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि पूजा के लिए आने वाले लोगों को किसी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए महिला व पुरुषों के लिए छह अस्थायी शौचालय बनाए गए हैं।

स्थानीय लोगों ने कराई भोजन की व्यवस्था

जियारानी की पूजा के लिए आए लोगों की मदद में स्थानीय लोग जुटे रहे। रानीबाग युवक, युवती मंगल दल व जनप्रतिनिधियों ने आपसी सहयोग से निश्शुल्क भोजन व्यवस्था की। रमा पांडे, सुमन बिष्ट, कलावती थापा, दीपक नौगाई, मोहन बुढलाकोटी, विश्वदीपक तिवारी, धीरज बिष्ट आदि रात तक मदद में जुटे रहे।

सरयू पार वाले आज कौओं को बुलाएंगे

मकर संक्रांति पर कुमाऊं में घुघुतिया त्योहार मनाया जाता है। सरयू पार यानी बागेश्वर, पिथौरागढ़ मूल के संक्रांति से पहली शाम घुघते बनाते हैं और संक्रांति की सुबह कौओं को आमंत्रित कर खिलाते हैं। अल्मोड़ा, चम्पावत व नैनीताल निवासी गुरुवार शाम गुड़ मिश्रित आटे से घुघुते बनाकर शुक्रवार सुबह कौओं को खिलाएंगे।

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