बुखार होने पर मरीज के अपने भी दूर भागते हैं, वहीं एंबुलेंस चालक कैलाश निभा रहे दोहरी जिम्मेदारी
कैलाश चंद्र तिवारी ने बताया कि कोरोना महामारी का उग्र रूप देखकर स्वजन भी किनारा कर रहे हैं। अपने ही घर के लोगों को कई बार स्वजन हाथ नहीं लगाना चाहते हैं। ऐसे में सारी जिम्मेदारी एंबुलेंस में मौजूद चालक व सहयोगियों पर ओढ़ा दी जाती है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण से बचने के लिए स्वजन भी मरीज को हाथ नहीं लगा रहे हैं। ऐसे में एंबुलेंस स्टाफ को ही दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। जिसमें मरीज को एंबुलेंस में बैठाना व अस्पताल ले जाकर भर्ती करना शामिल है।
रामनगर में 108 एंबुलेंस सेवा में चालक की जिम्मेदारी संभाल रहे कैलाश चंद्र तिवारी ने बताया कि कोरोना महामारी का उग्र रूप देखकर स्वजन भी किनारा कर रहे हैं। अपने ही घर के लोगों को कई बार स्वजन हाथ नहीं लगाना चाहते हैं। ऐसे में सारी जिम्मेदारी एंबुलेंस में मौजूद चालक व सहयोगियों पर ओढ़ा दी जाती है। जब कि चालक व अन्य सहयोगी जान जोखिम में होने के बाद भी ड्यूटी में लगे हुए हैं। कैलाश चंद्र तिवारी ने बताया कि वह लंबे समय से 108 एंबुलेंस में अपनी सेवा दे रहे हैं। कोरोना महामारी के प्रसार के बाद स्थिति ज्यादा विकट हो गई है। जिसमें मरीज से पहले खुद की सुरक्षा के प्रति भी चिंतित होना पड़ता है। इसके बाद भी कर्तव्य से डिगने का कोई अवसर नहीं आने दिया है। 12 घंटे तक लगातार मरीजों को अस्पताल से लाने और ले जाने का कार्य कर रहे हैं।
परिवार के प्रति बढ़ी चिंता
कोरोना महामारी का प्रसार तेज होने के साथ ही परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। एंबुलेंस चालक ने बताया कि उनकी पत्नी नैनीताल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। जबकि डेढ़ साल का बेटा भी है। जिसे संक्रमण से बचाने के लिए बहुत सावधानी से कार्य करना पड़ रहा है।
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