जंगलों की सुरक्षा में ली जाएगी तकनीक की मदद, वनकर्मियों को दी गई ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग
जंगल में गश्त के साथ तकनीक की भी अब जरूरत महसूस होने लगी है। लिहाजा तकनीक के साथ आगे बढऩा होगा। तकनीक की जानकारी वनकर्मियों को होना जरूरी है। फॉरेस्ट गार्ड तथा बीट अधिकारियों को जीपीएस से लोकेशन ट्रैक करना तथा ड्रोन एवं कैमरा ट्रैप की ट्रेनिंग दी गई।
जागरण संवाददाता, रामनगर : तराई पश्चिमी वन प्रभाग में तकनीक की मदद से मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने के अलावा जंगल की सुरक्षा की जाएगी। इस संबंध में फाटो रेंज में डीएफओ बीएस शाही ने वनकर्मियों के साथ बैठक कर ड्रोन कैमरों के महत्व पर चर्चा की।
डीएफओ ने कहा कि जंगल में गश्त के साथ तकनीक की भी अब जरूरत महसूस होने लगी है। लिहाजा तकनीक के साथ आगे बढऩा होगा। तकनीक की जानकारी वनकर्मियों को होना जरूरी है। बैठक में फॉरेस्ट गार्ड तथा बीट अधिकारियों को जीपीएस के माध्यम से लोकेशन ट्रैक करना तथा ड्रोन एवं कैमरा ट्रैप की ट्रेनिंग दी गई। जिससे भविष्य में तराई पश्चिमी वन प्रभाग के अंतर्गत जंगल के अंदर ड्रोन की मदद से निगरानी की जाएगी। इसके अलावा बाहरी व्यक्तियों को जंगल में घुसने से रोकने के लिए भी ड्रोन मददगार साबित होगा। डीएफओ ने कहा कि यह ट्रेनिंग काफी महत्वपूर्ण है। इससे वन प्रभाग के अंतर्गत कार्य करने वाले वन कर्मचारियों तथा अधिकारियों को ई सर्विलांस ड्रोन तथा कैमरा ट्रैप की पूर्णता जानकारी रहेगी।
भविष्य में तराई पश्चिमी वन प्रभाग में होने वाली कई विभागीय कार्यों में ड्रोन ट्रेनिंग लाभकारी साबित होगी। बैठक में कहा गया कि आबादी में हिंसक वन्य जीव के आने पर उसकी निगरानी ड्रोन से की जाएगी। इस मौके पर फ़ाटो रेंज के रेंजर देवेंद्र रजवार, वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट अब्दुल गफ्फार अंसारी , एसडीओ जी एस कार्की, अतुल भगत, घनानंद चन्याल, देवेंद्र रजवार, विवेक मौजूद रहे।