योजना न ई-पाठ्यक्रम, यह अनदेखी चौपट कर रही संस्कृत स्कूलों के विद्यार्थियों का भविष्य

संस्कृत शिक्षा का और बुरा हाल इस कोरोना काल में हो रहा है। जहां माध्यमिक शिक्षा और डिग्री कॉलेजों के विद्यार्थियों के पढऩे के लिए तमाम तरह के ऑनलाइन चैनल वेबसाइट ई-पाठ्यक्रम बना हुआ है वहीं संस्कृत शिक्षा के विद्यार्थी वाट्सएप के भरोसे बैठे हुए हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 29 May 2021 10:11 AM (IST) Updated:Sat, 29 May 2021 10:11 AM (IST)
योजना न ई-पाठ्यक्रम, यह अनदेखी चौपट कर रही संस्कृत स्कूलों के विद्यार्थियों का भविष्य
स्कूल प्रबंधकों की मानें तो ऐसे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने की फिलहाल कोई सुविधा उनके पास नहीं है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राज्य में संस्कृत शिक्षा हमेशा हाशिए पर रही है। माध्यमिक शिक्षा की तरह इस शिक्षा के लिए दशकों से कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया गया। आलम ये है कि वर्गीकरण न होने के साथ-साथ पूर्वदशम (नौवीं-दसवीं), दशमोत्तर (11वीं-12वीं) के साथ-साथ एक ही छत के नीचे शास्त्री (स्नातक) और आचार्य (स्नातकोत्तर) की कक्षाएं भी चल रही है। संस्कृत शिक्षा का और बुरा हाल इस कोरोना काल में हो रहा है। जहां माध्यमिक शिक्षा और डिग्री कॉलेजों के विद्यार्थियों के पढऩे के लिए तमाम तरह के ऑनलाइन चैनल, वेबसाइट, ई-पाठ्यक्रम बना हुआ है वहीं, संस्कृत शिक्षा के विद्यार्थी वाट्सएप के भरोसे बैठे हुए हैं। जिनके पास मोबाइल नहीं वे घर पर खाली बैठे हुए हैं।

संस्कृत शिक्षा से जुड़े हैं 500 विद्यार्थी

नैनीताल जिले की बात करें तो यहां वर्तमान में संस्कृत शिक्षा के पांच विद्यालय-महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं। जिनमें छठी से बारहवीं तक के करीब 250 और शास्त्री-आचार्य की कक्षाओं में भी 250 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।

कई विद्यार्थियों के पास मोबाइल तक नहीं

संस्कृत शिक्षा के स्कूल-कॉलेजों में अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखने वाले बच्चे पढ़ रहे हैं। जो कि हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं। इनमें से अधिकांश बच्चों के पास एंड्रायड मोबाइल तो दूर की-पैड वाला फोन भी नहीं है। ऐसे में बमुश्किल वाट्सएप के जरिए चलाई जा रही संस्कृत शिक्षा भी इनतक नहीं पहुंच पा रही है। स्कूल प्रबंधकों की मानें तो ऐसे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने की फिलहाल कोई सुविधा उनके पास नहीं है।

संयुक्त निदेशक संस्कृत शिक्षा नैनीताल डा. पद्माकर मिश्र का कहना है कि संस्कृत के विद्यालय-महाविद्यालय कोविड कफ्र्यू के कारण बंद हैं। ऐसे में जिन विद्यार्थियां के पास वाट्सएप है उन्हें मोबाइल पर ही शिक्षण सामग्री भेजी जा रही है।

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