गढ़खेत और उड़खुली के जंगलों की आग होने लगी बेकाबू, आग बुझाने में जुटी वन विभाग की टीम

वन विभाग की टीम आग बुझाने का प्रयास कर रही है। लेकिन आग की ज्वाला तेज होने से जंगलों को बचा पाना मुश्किल हो रहा है। सड़कों के किनारे भारी मात्रा में पिरुल समय से नहीं उठने के कारण आग की घटनाएं बढ़ने की आशंका तेज हो गई है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 03:40 PM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 03:40 PM (IST)
गढ़खेत और उड़खुली के जंगलों की आग होने लगी बेकाबू, आग बुझाने में जुटी वन विभाग की टीम
भारी मात्रा में पिरुल समय से नहीं उठने के कारण आग की घटनाएं बढ़ने की आशंका तेज हो गई है।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : चटक धूप के कारण चीड़ के जंगल धधकने लगे हैं। गढ़खेत, उड़खुली से लेकर जिले के तमाम जंगलों में लगी आग से वातावरण में धुंआ फैल गया है। जिसके कारण वन संपदा और वन्य जीवन को भारी नुकसान होने की आशंका तेज हो गई है। वहीं, पर्यावरण भी खतरे में है।

बारिश नहीं होने से पिरुल गिरने लगा है। पहले से भी काफी मात्रा में चीड़ के पेड़ों से पिरुल गिरा हुआ है। 15 जून तक वनाग्निकाल माना जाता है। मंगलवार रात से वनों में आग लगने लगी है। गढ़खेत और उड़खुली के जंगल तेजी से जल रहे हैं। इसके अलावा जिले के अन्य जंगलों में भी आग लगने लगी है। जिसके कारण हरे पेड़ और वर्तमान में लगाए गए पीपल,बांज, फल्यांट, च्यूरा, भिमल समेत अन्य प्रजाति के पौधों पर भी संकट मंडराने लगा है। वन विभाग की टीम आग बुझाने का प्रयास कर रही है। लेकिन आग की ज्वाला तेज होने से जंगलों को बचा पाना मुश्किल हो रहा है। सड़कों के किनारे भारी मात्रा में पिरुल समय से नहीं उठने के कारण आग की घटनाएं बढ़ने की आशंका तेज हो गई है।

बुधवार को जिला उद्यान अधिकारी आरके सिंह की टीम वज्यूला की तरफ उद्यानीकरण का निरीक्षण करने जा रही थी। गढ़खेत के जंगलों में लगी आग को बुझाने में जुट गई। जिला उद्यान अधिकारी ने इसकी सूचना वन विभाग को भी दी। उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने सड़क किनारे से बड़ी मात्रा में पिरुल हटाया और जिससे वाहनों की आवाजाही आसान हो सकी। इधर, प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागरी ने बताया कि वन विभाग की टीम मुस्तैद है। स्थानीय सभी टीमों को अलर्ट जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि वनों को आग लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वन क्षेत्र में आग लगने से वन्य जीव जंतुओं व वनस्पतियों के जलने का सबसे बड़ा खतरा रहता है। हालांकि इस दौरान वर्षा होने से भीषण आग की आशंका कम है।

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