सफाई कर्मी 13 साल से कार्यरत कर्मचारी को संविदा तक में नहीं रख पा रहा विभाग

3 साल पूर्व उन्हें 500 रुपये में अस्पताल की साफ सफाई के लिए नियुक्त किया गया था। कोविड महामारी के खिलाफ जंग में उनका योगदान किसी वेतनभोगी कर्मचारी से कम नहीं है। कोरोना काल में वे अपने काम के साथ कोविड से संबंधित अतिरिक्त कार्य भी कर रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 04:27 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jun 2021 04:27 PM (IST)
सफाई कर्मी 13 साल से कार्यरत कर्मचारी को संविदा तक में नहीं रख पा रहा विभाग
अस्पताल में झाडू लगाने के बाद वे कार्यालय, बेडों तथा चिकित्सकीय उपकरणों की धूल हटाने के साथ पोछा लगाते हैं।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : कोरोना संक्रमण काल में सरकारी कर्मचारी अपनी नियमित ड्यूटी के साथ कोविड ड्यूटी भी कर रहे हैं। इन्हें सरकार की ओर से मानदेय के अलावा अन्य कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा रही है, जिसके वे हकदार हैं। लेकिन समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मानदेय और प्रोत्साहन की चिंता किए बगैर अपनी ड्यूटी के साथ कोविड की अतिरिक्त ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसे लोगों का नाम और काम उजागर नहीं हो पाता। प्रशासन का ध्यान भी ऐसे लोगों तक नहीं जा पाता। इन्हीं में एक नाम प्रमोद कुमार टम्टा का भी है।

प्रमोद अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मंच में स्वच्छक कम चौकीदार के पद पर दैनिक मजदूरी में रखे गए हैं। उन्हें हर माह 1200 रुपया दिया जा रहा है। यानि प्रतिदिन 40 रुपया। दिहाड़ी मजदूर भी वर्तमन में 600 रुपया ले रहे हैं। 13 साल पूर्व उन्हें 500 रुपये में अस्पताल की साफ सफाई के लिए नियुक्त किया गया था। कोविड महामारी के खिलाफ जंग में उनका योगदान किसी वेतनभोगी कर्मचारी से कम नहीं है। कोरोना काल में वे अपने काम के साथ कोविड से संबंधित अतिरिक्त कार्य भी कर रहे हैं। सुबह अस्पताल परिसर में झाडू लगाने के बाद वे कार्यालय, बेडों तथा चिकित्सकीय उपकरणों की धूल हटाने के साथ पोछा लगाते हैं। उसके बाद अस्पताल में कोविड वैक्सिनेशन के लिए आने वाले लोगों का पंजीकरण करते हैं और उन्हें कोविड के नियमों का पालन करने की सीख देते हैं।

प्रमोद कुमार टम्टा के पास परिवार के पांच सदस्यों के भरण पोषण की जिम्मेदारी है। परिवार में वे उनकी पत्नी के साथ दो बेटियां व एक बेटा है। उन्हें मिलने वाली मजदूरी से आधे माह के भी नून तेल का खर्च नहीं निकलता है। लिहाजा रविवार या फिर अवकाश के दिन वे मेहनत मजदूरी कर लेते हैं। प्रमोद मंच क्षेत्र के ही दूबड़ जैनल गांव के रहने वाले हैं। इस विषम परिस्थिति में स्वास्थ्य विभाग अपने ही दिहाड़ी कर्मचारी को एक दिन का 40 रुपया देकर पल्ला झाड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की सेवा करते 13 साल बीतने के बाद भी उन्हें संविदा में रखने तक की जहमत विभाग नहीं उठा पाया है।

सीएमओ डॉ. आरपी खंडूरी ने बताया कि अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मंच में साफ सफाई एवं एवं चौकीदारी के लिए रखे गए प्रमोद कुमार टम्टा को संविदा में रखने का प्रयास किया जा रहा है। उसके कार्य को देखते हुए उसे पारितोषिक अवश्य दिया जाएगा।

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी