अदालत का फैसला तय करेगा बर्खास्त प्रधानाध्यापिका का भविष्य, 2018 में छात्रा का किया था उत्‍पीड़न

तत्कालीन प्रधानाध्यापिका दया श्यालाकोटी व एक सहायक अध्यापक को छात्रा के उत्पीडऩ पर निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में मुकदमा भी दर्ज हुआ है और सहायक अध्यापक जेल में है। उसे पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 10:13 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 10:13 AM (IST)
अदालत का फैसला तय करेगा बर्खास्त प्रधानाध्यापिका का भविष्य, 2018 में छात्रा का किया था उत्‍पीड़न
मामला उच्च न्यायालय में चला गया। जहां से प्रधानाध्यापिका जमानत पर हैं।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : छात्रा के उत्पीडऩ प्रकरण में बर्खास्त प्रधानाध्यापिका का भविष्य अब न्यायालय तय करेगा। विशेष सत्र न्यायाधीश की अदालत में पॉक्सो एक्ट में दोषी करार प्रधानाध्यापिका फिलहाल उच्च न्यायालय से जमानत पर हैं।

मामला 2018 का है। प्राथमिक विद्यालय बैगनियां (लमगड़ा ब्लाक) की तत्कालीन प्रधानाध्यापिका दया श्यालाकोटी व एक सहायक अध्यापक को छात्रा के उत्पीडऩ पर निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में मुकदमा भी दर्ज हुआ है और सहायक अध्यापक जेल में है। उसे पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। दूसरी तरफ विशेष सत्र न्यायाधीश की अदालत ने प्रधानाध्यापिका को पॉक्सो एक्ट को दोषी पाया। यह मामला उच्च न्यायालय में चला गया। जहां से प्रधानाध्यापिका जमानत पर हैं। इधर, विभाग ने उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली-2003 के तहत कार्रवाई करते हुए प्रधानाध्यापिका को बर्खास्त कर दिया है।

मुख्य शिक्षाधिकारी हर्ष बहादुर चंद ने बताया कि उत्तराखंड सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली के उल्लंघन पर प्रधानाध्यापिका की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। यदि प्रधानाध्यापिका अदालत से अपराध मुक्त हो जाती हैं तो वह अपना प्रत्यावेदन विभाग को कर सकती हैं। गुणदोष के आधार पर उसे सेवा में लिए जाने पर विचार किया जाएगा।

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