जीवनदायिनी वनस्पतियों से आर्थिक तौर पर मजबूत होगा देश, जीबी पंत शोध संस्थान में विशेषज्ञों ने रखे विचार

हिमालय में 35 फीसद प्रजातियां ऐसी हैं जो दुनिया के अन्य हिस्सों में नहीं पाई जाती। वनस्पतियों को तलाश लें तो भारत बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर सकता है। विज्ञानियों का आह्वान किया कि इसे बचाने की दिशा में नित नए शोध करने होंगे।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 09:06 PM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 08:30 AM (IST)
जीवनदायिनी वनस्पतियों से आर्थिक तौर पर मजबूत होगा देश, जीबी पंत शोध संस्थान में विशेषज्ञों ने रखे विचार
डा. राव जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के मानद विज्ञानी डा. राघवेंद्र राव ने कहा, हम अपने संसाधनों का महत्व नहीं समझ पा रहे। हिमालय में 35 फीसद प्रजातियां ऐसी हैं जो दुनिया के अन्य हिस्सों में नहीं पाई जाती। कहा कि जीवनदायिनी वनस्पतियों को तलाश लें तो भारत बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर सकता है। उन्होंने जैव विविधिता को जीवन का अभिन्न अंग बताते हुए विज्ञानियों का आह्वान किया कि इसे बचाने की दिशा में नित नए शोध करने होंगे।

डा. राव जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। 'हिमालय का जैव भूगोल, जैवविविधता व संसाधन, चिताएं एवं रणनीतियां' विषय पर कहा कि अपने संसाधनों का महत्व न समझ पाने के कारण ही हम अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पाद तैयार करने में असमर्थ हैं। इंडो ऑस्ट्रेलियन एवं यूरेशियन प्लेट में टकराव के कारण हिमालय अब भी बढ़ रहा है। इससे तमाम बहुपयोगी प्रजातियां पाई जा सकती हैं। इन्हें खोजने पर जोर दिया। 

जैवविविधता व जलस्रोतों के संरक्षण को उल्लेखनीय शोध: प्रो. किरीट 

निदेशक संस्थान प्रो. किरीट कुमार ने उपलब्धियां गिनाईं। कहा कि बीते वर्षों मेंं संस्थान ने जैव विविधता संरक्षण, सामाजिक एवं आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन व जल जमीन संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्र में ठोस प्रयास किए। हिमालयी क्षेत्र के लोगों की आजीविका वर्धन, जैव विविधता संरक्षण, चीड़ पत्तियों से विभिन्न उत्पाद बना औषधीय पादपों के उत्पादन को बढ़ावा दिया। साथ ही आत्मनिर्भर भारत, जलजीवन मिशन, जल सुरक्षा, कृषक आय में वृद्धि, ग्रामीण सशक्तीकरण को राष्टï्रीय हिमालयन मिशन के जरिये उल्लेखनीय शोध किए गए हैं। 

वोकल फॉर लोकल की सोच हो रही साकार: टम्टा 

सांसद अजय अम्टा ने संस्थान के शोध कार्यों को मील का पत्थर बताया। कहा कि पं. जीबी पंत ने देश, समाज व मानव कल्याण को जो कार्य किए हैं, उन्हें आत्मसात करना होगा। कहा कि संस्थान के विज्ञानियों के शोध कार्य देश में वोकल फॉर लोकल की सोच को साकार कर रहे हैं। इससे जैव विविधता संरक्षण के साथ आजीविका व रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सम्मेलन में 200 विज्ञानियों, शोध अधिकारियों व शोधार्थियों ने हिस्सा लिया। संचालन डा. वसुधा अग्निहोत्री ने किया। 

इन्होंने दिए व्याख्यान 

मैती आंदोलन के अगुवा पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, विशिष्टï अतिथि विवेकानंदपर्वतीय अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक डा. जेसी भट्ट, संयुक्त सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय मंजू पांडे, डा. गिरीश नेगी, वरिष्ठ विज्ञानी डा. जेसी कुनियाल, पूर्व निदेशक प्रो. एएन पुरोहित, वाडिया संस्थान देहरादून के निदेशक डा. कालाचंद साई, आइसीमोड के डीजी डा. एकलव्य शर्मा व पर्यावरण मंत्रालय के रघुकुमार कोडाली। आखिर में संस्थान के पूर्व निदेशक डा. उपेंद्र धर व डा. आरएस रावल को श्रद्धांजलि दी गई।

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